रजनीगंधा पान मसाले को कोर्ट ने बताया असुरक्षित, ठोका चार लाख का जुर्माना

गोपेश्वर, उत्तराखंड. चमोली की खाद्य सुरक्षा अदालत ने रजनीगंधा पान मसाले को अनसेफ ब्रांड घोषित करते हुए इसका उत्पादन करने वाली कंपनी पर चार लाख रुपए का जुर्माना लगाया है. जिले के खाद्य सुरक्षा अधिकारी की शिकायत पर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम के तहत दिए गए आदेश में स्थानीय स्तर पर इस पान मसाले को बेचने वाले व्यापारी पर भी 15 हजार रुपए जुर्माना लगाया गया है.

आपको बता दें कि अदालत द्वारा 30 अक्टूबर को दिया गया यह फैसला सार्वजनिक किया गया है. तीन साल पहले इस पान मसाले के नमूने में राजकीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला रुद्रपुर और पुणे की खाद्य विश्लेषक रैफरल प्रयोगशाला में प्रतिबंधित रसायन पाए जाने पर खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी.
पान मसाले के शौकीन आदमी के लिए भी झटका 
अदालत ने अपने निर्णय में रजनीगंधा पान मसाले में हानिकारक रसायन मेग्नेशियम कार्बोनेट और हानिकारक रंग कारमोइजीन पाए जाने को लोक स्वास्थ्य के खतरनाक मानते हुए इस पान मसाले के उत्पादक मैसर्स धर्मपाल सत्यपाल लिमिटेड पर चार लाख तथा चमोली नगर में इस उत्पाद के खुदरा विक्रेता मैसर्स मेहरवाल एजेंसी पर 15 हजार रुपए का आर्थिक दण्ड लगाया है.
चमोली नगर में रजनीगंधा ब्रांड का पान मसाला बेच रहे मैसर्स मेहरवाल एजेंसी की दुकान से सितंबर 2014 में इस पान मसाले के नमूने लिए गए थे. इन नमूनों को राज्य की रुद्रपुर स्थित खाद्य विश्लेषण प्रयोगशाला में जांच के लिए भेजा गया था जहां पान मसाले के नमूने असुरक्षित पाए गए थे.
रजनीगंधा पान मसाला के मुरीद लोग सावधान

चमोली में खाद्य सुरक्षा अधिकारी ने तीन साल पहले मेसर्स मेहरवाल एजेंसी के यहाँ से रजनीगंधा पान मसाले को लेकर शिकायत दर्ज की थी और जांच शुरू कराई थी. नमूने की जांच के लिए रजनीगंधा पान मसाले को राजकीय खाद्य एवं औषधि प्रयोगशाला, रुद्रपुर और पुणे में खाद्य विश्लेषक रेफरल प्रयोगशाला में भेजा गया था. दोनों लेबोरेटरी ने अपनी जांच रिपोर्ट सौंपी.

कोर्ट ने लेबोरेटरी जांच में यह पाया कि रजनीगंधा पान मसाले में हानिकारक रसायन मैग्नेशियम कार्बोनेट तथा हानिकारक रंग  कार्मोइजिन है. ये दोनों मानव स्वास्थ्य के लिए बहुत नुकसानदेह है. कोर्ट ने इसी आधार पर रजनीगंधा पान मसाले को अनसेफ ब्रांड घोषित करने और खाने के लिए असुरक्षित मानने का निर्णय लिया है. कोर्ट का यह फैसला बहुत दिनों से लंबित था, जो 30 अक्टूबर को सुनाया गया है.
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