राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक राज्यसभा में पेश: AAP सांसद राघव चड्ढा ने किया विरोध
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने संसद में राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक (NJAC), 2022 का विरोध किया।
शुक्रवार को संसद में मार्क्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी के विकास रंजन भट्टाचार्य ने उच्च न्यायालयों और उच्चतम न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति को विनियमित करने के लिए शुक्रवार को राज्यसभा में एक निजी सदस्य विधेयक पेश किया।
भट्टाचार्य के बिल में भारत के मुख्य न्यायाधीश और सर्वोच्च न्यायालय के अन्य न्यायाधीशों के साथ-साथ मुख्य न्यायाधीशों और उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीशों के रूप में नियुक्ति के लिए उम्मीदवारों की सिफारिश करने के लिए एक राष्ट्रीय न्यायिक आयोग की स्थापना का प्रस्ताव है।
प्रस्तावित कानून सर्वोच्च न्यायालय या उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के दुर्व्यवहार या अक्षमता की व्यक्तिगत शिकायतों की जांच के लिए “विश्वसनीय और समीचीन” तंत्र स्थापित करने के साथ-साथ ऐसी जांच की प्रक्रिया को विनियमित करने का भी प्रयास करता है।
विधेयक का प्रस्ताव है कि संसद एक न्यायाधीश को हटाने की कार्यवाही के संबंध में राष्ट्रपति को “एक अभिभाषण प्रस्तुत करती है” और इससे संबंधित या प्रासंगिक मामले।
आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक का विरोध करते हुए दावा किया कि सीबीआई और ईडी के निदेशकों की नियुक्तियों की तरह न्यायिक नियुक्तियों को हड़पने का प्रयास किया जा रहा है।
सांसद राघव चड्ढा ने कहा कि “इस बिल से न्यायपालिका में राजनीतिक हस्तक्षेप बढ़ जाएगा और न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में पड़ जाएगी, जो कि संविधान के मूल ढांचे का हिस्सा है।” उन्होंने बिल का विरोध करते हुए कहा कि “NJAC का कॉन्सेप्ट लगभग तीन बार सुप्रीम कोर्ट के सामने आया है। पहली बार 1993 में, दूसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी जी सरकार 1998 में और तीसरी बार 2016 में, तीनों बार सुप्रीम कोर्ट ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता को महत्व देते हुए राष्ट्रीय न्यायिक आयोग विधेयक के फ्रेमवर्क को खारिज कर दिया।”
राघव चड्ढा ने आगे कहा कि “देश में जजों की नियुक्ति का कॉलेजियम सिस्टम अच्छा चल रहा है। इसमें कोई भी ‘स्कोप फॉर इंप्रूवमेंट’ जो हो सकता है, वो न्यापालिका से बात करके, संवाद करके किया जा सकता है। लेकिन हमें ऐसी कोई भी शक्ति केंद्र सरकार को नहीं देनी चाहिए जिससे वो जजों की नियुक्ति में दखल दें। जिस तरह सीबीआई और ईडी डायरेक्टर की नियुक्ति होती है, उसी तरह ये अब जजों की नियुक्ति में भी दखल देना चाहते हैं।”