वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने राफेल सौदे को बताया सही

घोटाले के आरोपों के दरकिनार कर उन्होंने राफेल डील को सही करार दिया है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : राफेल सौदे को लेकर मचे सियासी घमासान के बीच वायुसेना प्रमुख राफेल विमान की तारीफ करते नजर आए हैं। उन्होंने एक बार फिर कहा है कि भारतीय वायुसेना को राफेल विमानों की जरूरत है। विमान और उसकी कीमत को लेकर विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे आरोपों के उलट वायुसेना प्रमुख बीएस धनोआ ने कहा कि फ्रेंच कंपनी दौसॉ को ऑपरेटर साझेदार का चयन करना था और इसमें न तो सरकार और न ही वायुसेना की कोई भूमिका थी। घोटाले के आरोपों के दरकिनार कर उन्होंने राफेल डील को सही करार दिया है।राजधानी दिल्ली में बुधवार को एक प्रेस ब्रीफिंग के दौरान राफेल की खासियत पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि राफेल अच्छा विमान है और जब यह उपमहाद्वीप में आएगा तो अत्यंत महत्वपूर्ण साबित होगा। साथ ही, वायुसेना प्रमुख धनोआ ने इसे गेम चेंजर बताया है। धनोआ से जब यह पूछा गया कि क्या भारतीय वायुसेना को इस बात की सूचना दी गई थी कि राफेल सौदे में खरीदे जाने वाले विमानों की संख्या 126 से बदलकर 36 की जा रही है। इसके जवाब में धनोआ ने कहा, ‘सौदे को लेकर उचित स्तर पर वायुसेना से परामर्श किया गया था। वायुसेना ने कुछ विकल्प दिए थे। उनमें से चुनाव करना सरकार का काम है।’आगे उन्होंने कहा कि हमें (भारत) अच्छा पैकेज मिला है, राफेल सौदे में कई फायदे हैं। इस बीच उन्होंने सरकार की तारीफ करते हुए कहा कि यह सरकार द्वारा उठाया गया साहसिक कदम है और जिसने 36 राफेल विमान खरीदने का करार किया। एक उच्च प्रदर्शन, हाई-टेक तकनीक की क्षमता को ऑफसेट करने वाला विमान वायु सेना को दिया जाएगा।’ इस बीच, हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) के साथ राफेल विमान का सौदा न होने पर भी वायुसेना प्रमुख ने टिप्पणी की। उन्होंने बताया कि HAL के साथ रहने पर विमान की डिलीवरी में देरी हो रही थी। धनोआ ने बताया कि एचएएल द्वारा सुखोई-30 की डिलिवरी में तीन साल, जगुआर की डिलिवरी में छह साल, एलसीए की डिलिवरी में पांच साल की देरी है, जबकि मिराज 2000 अपग्रेड की डिलिवरी में 2 साल की देरी है। बता दें कि विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने राफेल डील में घोटाला होने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का आरोप है कि मोदी सरकार राफेल विमान की खरीद 1,670 करोड़ रुपये प्रति विमान की दर पर कर रही है, जबकि यूपीए सरकार ने इसके लिए 526 करोड़ रुपये की कीमत तय की गई थी। बता दें कि दस्तावेजों के अनुसार, 36 राफेल विमानों का सौदा मोदी सरकार ने 59000 हजार करोड़ रुपये में किया है, जिस कारण विपक्ष हमलावर है।

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