सिलीगुड़ी: इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षाकर्मी पर दुर्व्यवहार का आरोप।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) सिलीगुड़ी-रोज़मर्रा की परेशानियों और थकान से बचने के लिए लोग मनोरंजन ढूढ़ते हैं। आज मनोरंजन का सबसे बड़ा साधन है बॉलीवुड मूवीज़। लोग शॉपिंग मॉल्स जा कर बॉलीवुड मूवीज़ का मज़ा लेना नहीं चूकते। लेकिन आज कल शॉपिंग मॉल्स में जा कर शांति से मनोरंजन का आनंद ले पाना आसान नहीं रह गया है। ताज़ी घटना सिलीगुड़ी सिटीसेंटर मॉल की है। शुक्रवार रात रीलीज़ हुई ‘धड़क’ मूवी को देखने एक नवविवाहित अपने परिवार के लोगों के साथ सिटीसेंटर मॉल पहुंचा। इनॉक्स सिनेमा की टिकेट्स ले कर अंदर जाने को हुए थे कि कथित सिक्युरिटी चेक पर आ खड़े हुए। मनोज नाम के युवक ने वहां सिक्युरिटी चेक के लिए उनको अपना हैंड बैग दिया। ताकि सेक्युरिटी चेक की प्रणाली पूरी हो। इस पर सुरक्षाकर्मी ने मनोज को कहा कि आप बैग की ओर देखिये हम तलाशी ले रहे हैं। मनोज ने मुस्कुराते हुए कहा कि प्लीज़ आप चेक कर लीजिये इसमें कुछ नहीं है। मोबाइल फ़ोन भी मनोज के हाथ में ही था। लेकिन इनॉक्स सिनेमा का सुरक्षाकर्मी कड़ी आवाज़ में बोला ये हमारा काम है। मनोज ने कहा जी! कोई बात नहीं आप चेक कर लें इसमें कुछ नहीं है। वो अचानक ही मनोज को सख्त अंदाज़ में फिर कहने लगा कि देखिये ये हमारी ड्यूटी है। मनोज ने फिर रिक्वेस्ट किया कि भाई बैग में कुछ नहीं है और बैग आपकी टेबल पर है इसे प्लीज़ चेक कर लीजिये। इस पर इनॉक्स सिनेमा का सुरक्षाकर्मी और बिगड़ गया। जब मामला कुछ था ही नहीं ऐसे में इनॉक्स सिनेमा के इस सुरक्षाकर्मी का ऐसा व्यवहार किसी मानसिक रोगी जैसा था। बैग सुरक्षाकर्मी की टेबल पर और उसी के हाथ में, फिर भी मनोज को डांटने के अंदाज़ में कहे जा रहा था। सुरक्षाकर्मी को देख कर ऐसा लग रहा था कि मानो दिन भर के काम के स्ट्रेस को झेल नहीं पाया हो। जब मनोज ने कहा कि हम यहाँ मनोरंजन के लिए परिवार के साथ आये हैं आप हमारा मूड़ खराब कर रहे हैं। ऐसा करना ठीक नहीं। तो इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षाकर्मी पर इसका कोई असर नहीं हुआ। मनोज ने अपना आई-कार्ड भी दिखाया। इस पर इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षाकर्मी का ये कहना था कि आपको जो करना है कर लीजिये। मनोज ने एक बार फिर पूछा कि क्या आप सचमुच ये कह रहे हो? तो इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षाकर्मी ने अकड़ दिखाते हुए कहा, हां! जो करना है कर लो। इतने में मनोज की पत्नी आ गई और किसी तरह बहस में बीच-बचाव कर दोनों अंदर चले गए। मनोज का फिल्म देखने का तो पूरा ही मूड ऑफ हो चुका था। लेकिन परिवार साथ था उनकी खातिर पूरी फिल्म साथ देखनी पड़ी। इसके बाद मनोज ने इनॉक्स सिनेमा के कस्टमर केयर को शिकायत की। लेकिन मनोज को इस बात से थोड़ा संतोष मिला जब इनॉक्स सिनेमा के कस्टमर केयर ने उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। घटना मामूली है और इतनी गंभीर भी नहीं लगती कि कोई सनसनीखेज़ ख़बर हो। लेकिन ज़रा रुकिए! इस पूरे मामले में जो सबसे महत्वपूर्ण पहलू है वो है ग्राहक का अधिकार। क्योंकि ग्राहक पैसे दे कर सेवाएं ले रहा है ऐसे में उसके साथ ऐसा व्यवहार नहीं किया जा सकता। जिससे कि उसकी भावनाएं आहत हों। आप सोचिये मनोज के परिवार के 6 सदस्य एक साथ वहां आये थे। मनोज के पीछे आ रहे एक अन्य व्यक्ति ने भी मनोज को सांत्वना देते हुए कहा यहाँ इनकी ये नौटंकी रोज़ की ही है। ऊपर से इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षा कर्मी की धौंस देखिये। दरअसल इनॉक्स सिनेमा का सुरक्षाकर्मी ये भूल गया कि इस देश में ‘पब्लिक डीसेंसी’ सेक्शन 249 नाम की भी चीज़ है। अब देखना दिलचस्प होगा कि इनॉक्स सिनेमा इस मामले को कैसे निपटाती है? मनोज का साफ़ कहना है कि ना तो उनको सिटीसेंटर मॉल से शिकायत है न ही वो इस सुरक्षाकर्मी के ख़िलाफ़ पुलिस केस करना चाहते हैं। उनका कहना है कि इनॉक्स सिनेमा को ये ध्यान रखना चाहिए कि उनहोंने जिस कम्पनी को सुरक्षा की जिम्मेवारी सिलीगुड़ी में दे रखी है कहीं उनहोंने मानसिक कमज़ोर और मनोरोगियों की भर्ती तो नहीं कर दी है? या काम का बोझ इन लोगों पर ऐसा तो नहीं कि अपनी खुन्नस लोगों पर उतार कर उनके सुखी जीवन में आग लगा रहे हों? क्योंकि हर दिन लोगों को भेड़-बकरियों की तरह सुरक्षा के नाम पर मनमाने तरीके से हांका जाता है। चाहे जो भी हो मामले में मनोज निर्दोष है और उसे इनॉक्स सिनेमा के सुरक्षकर्मी के दुर्व्यवहार का शिकार होना पड़ा। मनोज और उनके परिवार की शाम तो अपमान भरी हो ही गई उनका मनोरंजन भी इस दुर्व्यवहार से ख़राब हो गया, जबकि मामला कुछ था ही नहीं। ऐसी परेशानियों से निपटने के लिए हरदिन आम नागरिक पुलिस के पास नहीं पहुंचेगा। लेकिन क्या इस तरह का व्यवहार झेलने की आम लोगों को आदत ड़ालनी होगी? या हमारी सोई हुई सरकारें ऐसे छोटे-छोटे लेकिन हर दिन होने वाले मामलों पर भी ध्यान देगी। क्या हमारा देश भी कभी दुनिया के सभी सुखी लोगों के देशों की सूची में आ पायेगा? क्या इनॉक्स सिनेमा जैसी कम्पनियाँ अपने ग्राहकों के साथ खड़ी होगी या उनको इस्तेमाल करने के ही तरीके खोजेगी। फिलहाल मनोज जैसे बहुत से लोग इस देश में ऐसी ही अपमानजनक स्थितयों का हरदिन सामना कर रहे हैं।

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