50 गांवों के प्रधानों ने रखी मांग, अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हो जेवर एयरपोर्ट का नाम
जेवर क्षेत्र के करीब 50 गांवों के प्रधानों ने केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा से मुलाकात कर उनके सामने यह मांग रखी है
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : ग्रेटर नोएडा के जेवर क्षेत्र में बनने वाले इंटरनेशनल एयरपोर्ट का नाम पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर रखा जा सकता है। जेवर क्षेत्र के करीब 50 गांवों के प्रधानों ने केंद्रीय मंत्री डॉ. महेश शर्मा से मुलाकात कर उनके सामने यह मांग रखी है। उधर शासन ने जेवर एयरपोर्ट का सपना साकार करने के लिए किसानों को दिए जाने वाले मुआवजे और भूखंड की नीति में बड़ा बदलाव किया है।एयरपोर्ट के निर्माण की वजह से जिन किसानों के घरों को दूसरी जगह शिफ्ट किया जाएगा, उन्हें प्राधिकरण अब 50 वर्गमीटर के भूखंड की बजाय आबादी (रिहायश) के क्षेत्रफल का 50 फीसद हिस्सा विकसित सेक्टर के रूप में देगा। उनसे विकास शुल्क भी नहीं लिया जाएगा। पीडब्लूडी मकान की जितनी कीमत तय करेगा, प्राधिकरण उसकी दोगुनी धनराशि किसानों को विस्थापन के मुआवजे के तौर पर देगा।यमुना प्राधिकरण के चेयरमैन डॉ. प्रभात कुमार और प्राधिकरण के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने शनिवार को बताया कि जेवर एयरपोर्ट के लिए प्रथम चरण में छह गांवों की 1334 हेक्टेयर भूमि का अधिग्रहण होना है। करीब ढाई हजार किसान परिवारों को दूसरी जगह शिफ्ट करना पड़ेगा। प्राधिकरण ने पहले किसानों को विकसित सेक्टर में 50 वर्गमीटर का भूखंड देने का प्रस्ताव दिया था। प्राधिकरण अधिकारियों ने गुरुवार को जेवर क्षेत्र के किसानों के साथ बैठक की थी।किसानों ने 50 वर्ग मीटर भूखंड को अपर्याप्त बताया था। किसानों की बात से सहमत होते हुए अब उन्हें आबादी की जमीन का पचास फीसद हिस्सा विकसित सेक्टर के तौर पर दिया जाएगा। इस योजना के तहत किसानों को कम से कम 40 वर्ग मीटर का भूखंड जरूर मिलेगा, चाहे उसका मकान छोटा ही क्यों न हो। किसानों को विकसित सेक्टर में भूखंड देने पर सहमति बन गई है। जेवर इंटरनेशनल एयरपोर्ट का सपना साकार हुआ तो इसका नामकरण पूर्व पीएम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर हो सकता है।जेवर एयरपोर्ट के लिए अधिग्रहीत आवासीय भूमि के बदले जो भूखंड किसानों को मिलेंगे उनके समीप पार्क, ग्रीन बेल्ट, सामुदायिक केंद्र, स्कूल, अस्पताल, मार्केट, खेल मैदान, पेयजल आपूर्ति, सीवेज पाइप लाइन, बिजली लाइन आदि बनाकर दी जाएगी। मकानों का निर्माण किसान खुद करेंगे। उनके मकानों की जितनी लागत बनेगी उसकी दोगुनी धनराशि प्राधिकरण देगा, ताकि किसानों को घर बनाने में दिक्कत न आए।किसानों को आबादी के बदले सेक्टर में दिए जाने वाले भूखंड की रजिस्ट्री के समय स्टांप शुल्क नहीं देना पड़ेगा। स्टांप शुल्क का खर्च प्राधिकरण वहन करेगा। रजिस्ट्री के समय किसानों को कोई खर्च नहीं करना पड़ेगा। इससे किसानों को भारी बचत होगी। अब तक तीस फीसद किसानों ने सहमति दी है। सहमति पत्र के साथ जमीन मालिकों के आधार कार्ड, फोटो, खसरा व खतौनी भी लगाए हैं। अधिकारियों ने उम्मीद जताई कि अगले दस दिन के अंदर 70 फीसद किसानों की सहमति ले ली जाएगी। इसके बाद जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।प्राधिकरण ने किसानों को जमीन के मुआवजे के दो विकल्प दिए थे। पहले विकल्प में 23 सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर का मुआवजा व अन्य सुविधा एवं दूसरे विकल्प में सिर्फ 25 सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर के मुआवजे का प्रस्ताव दिया गया था। किसानों को पहला विकल्प पसंद आ रहा था। दूसरे विकल्प पर किसान तैयार नहीं थे, इसलिए प्राधिकरण ने अब सिर्फ एक विकल्प रखा है। इसमें 23 सौ रुपये प्रति वर्ग मीटर का मुआवजा, आबादी के क्षेत्रफल का पचास फीसद हिस्सा सेक्टर में देने, मकानों की दोगुनी लागत देने, रोजगार, पुनर्वास, पांच लाख 85 हजार रुपये का एक मुश्त भुगतान करने का प्रस्ताव है। दूसरे विकल्प को वापस ले लिया गया है।प्राधिकरण चेयरमैन व सीईओ ने बताया कि जेवर एयरपोर्ट के निर्माण में धन की कमी आड़े नहीं आने दी जाएगी। जमीन अधिग्रहण व आबादी विस्थापन पर करीब पांच हजार करोड़ रुपये खर्च होंगे। प्रदेश सरकार ने चार हजार करोड़ रुपये के बजट का प्रावधान किया है। एक हजार करोड़ रुपये की प्राधिकरण व्यवस्था करेगा। किसानों की आबादी शिफ्टिंग पर होने वाला खर्च भी प्राधिकरण वहन करेगा।