8 किलो के पत्थर में लिखा था राम नाम, तैरता मिला यमुना नदी के जल में..
कानपुर शहर के घाटमपुर सजेती मैं यमुना नदी के जल में तैरता पत्थर देखकर अचंभे में पड़े लोग
(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ) : कानपुर में घाटमपुर सजेती के मउनखत गांव में लोगों में अचंभा उमड़ पड़ा जब उन्होंने यमुना नदी के पानी में रामायण में वर्णित तैरते हुए पत्थर का दृश्य देखा। इतना ही नहीं इस तैरते हुए पत्थर में राम का नाम भी लिखा हुआ था। तैरने वाले पत्थर जिस में राम का नाम लिखा हुआ है यह देखकर लोगों में अचंभा और आस्था उमड़ पड़ी इस घटना की खबर पूरे इलाके में जंगल की आग की तरह फैली और आसपास के सभी गांवों के लोग यहां आकर इस पत्थर को देखने लगे। और साथ ही इस पत्थर के दर्शन कर पूजा-अर्चना करने लगे। यह घटना हुई वह कानपुर शहर से लगभग 70 किलोमीटर दूर स्थित घाटमपुर तहसील के सजेती थाना क्षेत्र में स्थित माउंखत गांव मैं हुई।
सबसे पहले कुल्लू निषाद सुबह सुबह यमुना नदी में मछली पकड़ने के लिए जब गया तो उसने धारा के विपरीत तरफ से आ रहे राम नाम लिखे हुए 8 से 10 किलो के लगभग के डेढ़ फुट लंबे चौड़े पत्थर को तैरते हुए देखा। पहले तो यह देखकर कल्लू को विश्वास नहीं हुआ पर बाद में उसने इस पत्थर को उठाकर नाव में रख लिया और नदी के किनारे रख दिया। इसके बाद गांव वालों को उसने इस पत्थर के बारे में जानकारी दी लेकिन गांव वालों को भी इस बात पर यकीन नहीं हुआ। यकीन करने के लिए गांव वालों ने पत्थर को नदी में डालकर तैराया तो राम नाम लिखा हुआ यह पत्थर तैरने लगा। तैरने वाले पत्थर की जानकारी मिली तो गांव वालों की भीड़ जुट गई। ग्रामीणों ने इस पत्थर को राम सेतु का टुकड़ा मानकर उसे यमुना नदी के किनारे स्थित हनुमान मंदिर में फिलहाल स्थापित कर दिया है। जहां पर लोग पत्थर का दर्शन करने के लिए आ रहे हैं।
क्या कहते हैं जानकार
मामला क्योंकि आस्था से जुड़ा हुआ है इसलिए नाम ना बताने की शर्त पर विशेषज्ञ ने बताया कि ऐसे कुछ चट्टानें होती है जो पानी में तैरती है संभव है कि कोई ऐसा पत्थर नदी में उभर कर सामने आ गया है।
क्या है राम से जुड़े हुए आस्था का इतिहास
रामायण में वर्णित कहानी के अनुसार जब रावण ने सीता का हरण करके उन्हें लंका में बंदी बना लिया था तो वानर और भालू की सहायता से भगवान श्री राम ने लंका पर चढ़ाई की। लेकिन लंका पहुंचने में सबसे बड़ी समस्या थी कि समुद्र को कैसे पार किया जाए। तब नल और नील नाम के दो वानर भाइयों ने पुल बनाया। जिसमें यह कहा जाता है कि वह जिस पत्थर को अपने हाथ से छूते थे वह पानी में डूबता नहीं था। ऐसा माना जाता है कि नल और नील ने पत्थरों में राम नाम लिखकर उन्हें समुद्र में डाला, जो समुद्र में तैरते रहे और ऐसे बने पुल को पार करके वानर सेना सहित श्री राम ने समुद्र पार किया और लंका पर चढ़ाई की।