हरारे: राष्ट्रपति रॉबर्ट मुगाबे को जिम्बाब्वे की सत्तारूढ़ जेडएएनयू-पीएफ पार्टी के नेता पद से हटा दिया गया जिसके साथ ही इस अफ्रीकी देश में उनका 37 साल से जारी सत्ता युग भी समाप्त हो गया। उनकी जगह अब उपराष्ट्रपति रहे एमर्सन म्नांगागवा बागडोर संभालेंगे। एमर्सन को पिछले महीने ही मुगाबे ने पद से हटा दिया था। सूत्रों ने बताया कि मुगाबे के भविष्य को लेकर हुई जेडएएनयू-पीएफ पार्टी की विशेष बैठक में यह फैसला लिया गया।
बैठक में हिस्सा लेने वाले एक प्रतिनिधि ने कहा, ‘उन्हें (रॉबर्ट मुगाबे) निकाल दिया गया है। म्नांगागवा हमारे नए नेता होंगे।’ इतना ही नहीं मुगाबे की पत्नी ग्रेस को भी पार्टी से निष्कासित कर दिया गया है। इससे पहले ग्रेस को ही मुगाबे का उत्तराधिकारी माना जा रहा था।
देश के पुराने सैनिकों के 93 साल के नेता क्रिस मुत्सवांग्वा ने बैठक में हिस्सा लेने से पहले कहा कि मुगाबे का समय अब पूरा हो चुका और वह जितना जल्दी हो सकें, देश छोड़ दें। उन्होंने बैठक से पहले कहा, ‘मुगाबे सम्मानपूर्वक विदाई के लिए सौदेबाजी करने की कोशिश कर रहे हैं।’ मुत्सवांग्वा ने सड़कों पर प्रदर्शन करने की धमकी दी। उन्होंने कहा, ‘यदि मुगाबे देश नहीं छोड़ने पर राजी नहीं होंगे तो सड़कों पर प्रदर्शन होंगे।’
इससे पहले शनिवार को हजारों प्रदर्शनकारी हरारे की सड़कों पर उतर आए थे। प्रदर्शनकारी नाच, गा रहे थे और उन्होंने सैनिकों को गले भी लगाया। साल 1980 से राष्ट्रपति पद पर कायम मुगाबे को जहां ज्यादातर अफ्रीकी जनता स्वतंत्रता सेनानी के तौर पर जानती है, वहीं पश्चिमी देश जिंबाब्वे की अर्थव्यवस्था को तहस-नहस करने के लिए उन्हें ही कसूरवार समझते हैं।
सेना ने गत बुधवार को मुगाबे को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया था लेकिन इसे फौजी तख्तापलट कहने से बचा जा रहा था। सेना ने यह भी कहा है कि मुगाबे की सुरक्षा को लेकर वह पूरी तरह सतर्क है। उसके निशाने पर मुगाबे के भ्रष्ट परिजन हैं लेकिन ऐसे माहौल में सच, झूठ और अफवाह को पहचानना मुश्किल हो जाता है। 1980 में देश आजाद होने के बाद से ही रॉबर्ट मुगाबे यहां की सत्ता संभाल रहे हैं। जिम्बाब्वे में जीवन के हर क्षेत्र पर श्वेत दबदबे को समाप्त करने का श्रेय उन्हें जरूर जाता है। शायद इसलिए निजी तौर पर उनको लेकर आम लोगों में अब भी थोड़ा-बहुत सम्मान बचा है लेकिन जिस तरह से उन्होंने शासन चलाया, उसे लेकर घोर निराशा है।
पार्टी की केंद्रीय समिति की बैठक से बाहर आकर खास प्रतिनिधि ने बताया कि एक प्रस्ताव के जरिये मुगाबे को अध्यक्ष पद से हटा दिया गया है और नांगाग्वा को जिम्मेदारी सौंपी गई है। संकेत हैं कि पार्टी की महिला शाखा की प्रमुख पद से मुगाबे की पत्नी ग्रेस को भी हटाया जाएगा। मुगाबे ने देश को ब्रिटिश हुकूमत से मुक्त कराने के लिए आंदोलन का नेतृत्व किया था और 1980 में आजादी के बाद से ही सत्ता संभाले हुए हैं। बढ़ती उम्र के चलते उनकी सक्रियता कम होती गई और देश बदहाल हो गया।
इस बदहाली के खात्मे के लिए ही मंगलवार को सेना सामने आई और उसने मुगाबे को उनके घर में ही नजरबंद कर दिया। सेना ने सत्ता संभालने की संभावना को खारिज कर दिया है। इससे पहले पत्नी ग्रेस से मतभेदों के चलते मुगाबे ने अपने पुराने सहयोगी और उप राष्ट्रपति नांगाग्वा को उनके पद से हटा दिया था। इसी के बाद विरोध की हवा तेज हुई। संभावना यह भी जताई जा रही है कि नांगाग्वा के नेतृत्व में बनने वाली अगली सरकार में मोल-तोल करके ग्रेस उप राष्ट्रपति बन सकती हैं।