पुतिन ने ट्रंप को करवा दिया इंतज़ार

शिखर वार्ता के लिए निर्धारित समय से महज 10 मिनट पहले ही पुतिन, हेलसिंकी पहुंचे. नतीजतन मीटिंग के शेड्यूल को आगे खिसकाया गया.

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : फिनलैंड की खूबसूरत राजधानी हेलसिंकी में पिछले दिनों अमेरिकी राष्‍ट्रपति डोनाल्‍ड ट्रंप और रूसी राष्‍ट्रपति व्‍लादिमीर पुतिन की मुलाकात हुई. दुनिया भर में यह खबर सुर्खियों का सबब बनी. यह मुलाकात इसलिए भी अहम मानी गई क्‍योंकि रूस पर यह आरोप लगा है कि उसने 2016 के अमेरिकी राष्‍ट्रपति चुनावों में डोनाल्‍ड ट्रंप के पक्ष में हस्‍तक्षेप किया था. अमेरिका में इस मामले की जांच हो रही है. इन सबके बावजूद डोनाल्‍ड ट्रंप रूस के कद्दावर नेता से मिलने गए. सिर्फ इतना ही नहीं इस जांच के लिए उन्‍होंने अपनी ही खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों को आड़े हाथों लिया. यह दीगर बात है कि इसके लिए ट्रंप की अमेरिका में आलोचना हो रही है. खैर, दोनों नेताओं के बीच मुलाकात में सबसे खास बात यह रही कि डोनाल्‍ड ट्रंप को व्‍लादिमीर पुतिन से मिलने के लिए एक घंटे का इंतजार करना पड़ा. ऐसा इसलिए क्‍योंकि शिखर वार्ता के लिए निर्धारित समय से महज 10 मिनट पहले ही पुतिन, हेलसिंकी पहुंचे. नतीजतन मीटिंग के शेड्यूल को आगे खिसकाया गया. इस कारण अमेरिकी राष्‍ट्रपति को अपने गेस्‍ट हाउस में एक घंटे का इंतजार करना पड़ा. अंतरराष्‍ट्रीय मीडिया का इस ओर ध्‍यान जाना इसलिए लाजिमी था क्‍योंकि बड़े वैश्विक नेताओं के साथ मुलाकात के दौरान पुतिन इस तरह की लेट-लतीफी के लिए लगभग कुख्‍यात हो चुके हैं. इस संबंध में यह कहा जा रहा है कि डोनाल्‍ड ट्रंप इसलिए खुशकिस्‍मत रहे क्‍योंकि उनको ज्‍यादा नहीं बल्कि केवल एक घंटे ही इंतजार करना पड़ा. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इसी तरह एक बार जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल को पुतिन से मिलने के लिए करीब सवा चार घंटे का इंतजार करना पड़ा. कहा जाता है कि सबसे ज्‍यादा जर्मन नेता को ही इंतजार करना पड़ा. इसके बाद दूसरे स्‍थान पर नाम यूक्रेन के नेता विक्‍टर यानुकोविच का है. उनको 2012 में पुतिन से मिलने के लिए चार घंटे का इंतजार करना पड़ा. उसी साल तत्‍कालीन राष्‍ट्रपति बराक ओबामा को अपनी मुलाकात के समय में 40 मिनट की तब्‍दीली करनी पड़ा. इसी तरह जब वेटिकन सिटी में 2015 में पोप फ्रांसिस की व्‍लादिमीर पुतिन से मुलाकात हुई, उसके पहले पोप को करीब एक घंटे का इंतजार करना पड़ा. कहा जाता है कि सबसे पहले 2003 में पुतिन की इस आदत की ओर दुनिया का ध्‍यान गया. उस दौरान ब्रिटेन की महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को उनसे मुलाकात के लिए 15 मिनट इंतजार करना पड़ा. उसके बाद स्‍वीडन और स्‍पेन के राजाओं को भी पुतिन से मिलने के लिए इंतजार करना पड़ा. आलोचकों का कहना है कि पुतिन की तरह ही दुनिया भर के नेता बेहद व्‍यस्‍त रहते हैं लेकिन कोई इस तरह के कार्यक्रमों में कभी लेट नहीं होता. दूसरी बात यह कि पुतिन अखबार-टीवी को इंटरव्‍यू देने के लिए समय पर उपलब्‍ध होते हैं तो फिर ऐसे मौकों पर वह क्‍यों लेट हो जाते हैं? इस बारे में कई विशेषज्ञों का इस बारे में आकलन है कि दरअसल पावर प्‍ले के लिए पुतिन ऐसा करते हैं. यानी दुनिया के मंच पर वह इसके जरिये रूस और अपनी अहमियत दिखाने का प्रयास करते हैं.  कुछ विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि वह इसके जरिये प्रतिद्वंद्वी के साथ एक तरह से मनोवैज्ञानिक गेम खेलते हैं. मीटिंग टेबल पर मिलने से पहले उसको अपनी अथॉरिटी का अहसास कराना चाहते हैं. हालांकि कुछ लोग पुतिन से सहानुभूति भी दर्शाते हैं. उनके मुताबिक वह ऐसा इसलिए करते हैं क्‍योंकि वह उच्‍च स्‍तर की मीटिंग से पहले सभी तथ्‍यों की बारीक जानकारी लेकर खुद को उसके लिए तैयार करते हैं. इसलिए बहुधा लेट हो जाते हैं.

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