हरियाणा सिविल सर्विसेज की ज्यूडिशियल ब्रांच की आरक्षित वर्ग से टॉपर आरोपी सुशीला की जमानत याचिका खारिज।
कोर्ट ने सुशीला को जमानत देने से इनकार कर दिया। पांच जजों की बेंच अगली सुनवाई 27 सितंबर को करेगी।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : हरियाणा सिविल सर्विसेज (एचसीएस) ज्यूडिशियल ब्रांच के पेपर लीक मामले में आरक्षित वर्ग से टॉपर आरोपी सुशीला की जमानत याचिका पर बुधवार को पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान चीफ जस्टिस कृष्ण मुरारी ने कहा कि बिना पढ़े कुछ सवालों के जवाब तो मैं भी नहीं दे सकता फिर 43 साल की यह हाउसवाइफ टॉपर कैसे बन गई? सुशीला के वकील ने दलील दी कि वह दो साल से लगातार कोचिंग ले रही थी। कोर्ट ने सुशीला को जमानत देने से इनकार कर दिया। पांच जजों की बेंच अगली सुनवाई 27 सितंबर को करेगी। एसआईटी ने बुधवार को हाईकोर्ट में मामले की स्टेटस रिपोर्ट सौंपी। एसआईटी का कहना है कि तीन आरोपी अभी भी फरार हैं। वे वॉट्सऐप के जरिए एक-दूसरे के संपर्क में हैं। इसलिए उनकी लोकेशन नहीं मिल पा रही। इस केस की जांच में पता चला था कि सुशीला ने हाईकोर्ट के रिक्रूटमेंट रजिस्ट्रार डॉ. बलविंदर से मोबाइल फोन पर सालभर में 1100 बार बातचीत की थी। उसकी मदद से ही उसने पेपर हासिल किया था। बाद में उसने यह पेपर अपने कुछ साथियों को उपलब्ध कराया था। इस केस में सुनीता, सुशीला, डॉ. बलविंदर, कांग्रेस नेता सुनील चोपड़ा उर्फ टीटू आयुषी और एक अन्य को गिरफ्तार किया गया। जांच के बाद कोर्ट ने परीक्षा रद्द कर दी थी। इस परीक्षा में सामान्य वर्ग से आरोपी सुनीता टॉपर रही थी। सुनवाई के दौरान एसआईटी ने कहा कि सुनीता इससे पहले एडीशनल सेशन जज (एडीजे) की परीक्षा में भी बैठी थी। ओवरएज होने के बावजूद उसने यह परीक्षा दी थी। इस मामले में खुलासा अक्टूबर 2017 में हुआ था। पिंजौर की वकील सुमन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि एचसीएस का पेपर डेढ़ करोड़ में बिक रहा है। उसे भी पेशकश की गई थी।उसने सुशीला से लेक्चर की वीडियो क्लिप मंगवाई थी, लेकिन उसने गलती से रजिस्ट्रार बलविंदर से हुई बातचीत की वीडियो क्लिप भेज दी। जिसमें पेपर में आने वाले प्रश्नों पर हुई बातचीत रिकॉर्ड थी।