मंत्री एसपीएस बघेल ने तोड़ा अंधविश्वास, 6 केडी में गृह प्रवेश

लखनऊ (जेएनएन)। प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री आवास से सटे बंगले, छह कालीदास मार्ग में कल गृह प्रवेश करने के बाद प्रदेश के मंत्री एसपी सिंह बघेल ने उसके अपशकुनी होने के अंधविश्वास को तोड़ दिया। एसपी सिंह बघेल ने कल इस बंगले में गृह प्रवेश किया।

पशुधन और लघु सिंचाई मंत्री प्रोफेसर एसपी सिंह बघेल ने कल छह कालिदास मार्ग पर सरकारी बंगले में गृह प्रवेश किया। मुख्यमंत्री आवास के ठीक बगल वाले इस बंगले में उन्होंने विधिवत हवन-पूजन कराया और दोपहर बाद एक कार्यक्रम में शामिल होने गाजियाबाद चले गए। उन्होंने कहा कि मैंने इस बंगले का चयन खुद ही किया है। इस बंगले में रहते हुए मुझे संविधान, कानून और नैतिकता हमेशा याद रहेगी। मेरा भगवान और अध्यात्म में विश्वास है लेकिन, अंधविश्वास में कतई नहीं। मैं इस बंगले में रहकर अंधविश्वास तोडऩा चाहता हूं। कई वजहों से इस बंगले को मनहूस मान लिया गया है लेकिन, प्रोफेसर बघेल ने कहा कि इतना बड़ा बंगला खाली तो नहीं रह सकता है। हम लोग समाज के रोल मॉडल हैं और मैं इसमें रहकर अंधविश्वास तोडऩा चाहता हूं।।

छह कालीदास मार्ग पर इस बंगले में नौकरशाहों से लेकर मंत्रियों तक जो भी रहा, उनके साथ कुछ न कुछ खराब हुआ। इसी कारण इस बंगले के प्रति एक खराब धारणा बनती गई। हालांकि, कभी यह बंगला खाली नहीं रहा। प्रचंड बहुमत की भाजपा सरकार बनने के बाद कालिदास मार्ग पर बंगला पाने की मंत्रियों ने तेजी दिखाई लेकिन, अधिकांश छह नंबर के बंगले में जाने से इन्कार करते रहे।

प्रोफेसर बघेल कहते हैं कि मैंने इस बंगले को खुद चुना है। कई मंत्रियों ने मना किया तो मैं भी मना कर सकता था, लेकिन रूढिय़ों को हम ही तोड़ सकते हैं। प्रोफेसर बघेल ने जब राज्य संपत्ति विभाग के अफसरों से छह कालिदास मार्ग के बंगले में जाने की अपनी इच्छा जताई तब लोग हैरत में थे। बघेल को लोगों ने समझाया कि यहां पूर्व मुख्य सचिव नीरा यादव रहीं तो उन्हें घोटाले में जेल जाना पड़ा। प्रमुख सचिव रहते प्रदीप शुक्ला एनआरएचएम घोटाले में फंसे और उन्हें भी जेल जाना पड़ा। फिर मंत्री रहते बाबू सिंह कुशवाहा इसी बंगले से बेदखल हुए और सीबीआइ जांच के फंदे में फंसे हैं। वकार शाह मंत्री होकर इस बंगले में आए तो बीमार पड़ गए और अभी तक कोमा में हैं। राजेंद्र चौधरी कारागार मंत्री बनने के बाद यहां रहने आए, लेकिन कुछ दिनों बाद उन्हें महत्वहीन मंत्रालय दे दिया गया। जावेद आब्दी को तो अखिलेश यादव ने प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड का चेयरैमन बनाकर यह बंगला दिया और फिर बोर्ड चेयरमैन के पद से हटा दिया। आब्दी को और भी मुश्किलों का सामना करना पड़ा।

प्रोफेसर बघेल से कहा गया कि इसमें जो लोग भी रहे उनका बुरा हुआ। बघेल ने कहा कि जिन लोगों के बारे में इस तरह की बातें की जा रही हैं उनके कृत्यों को भी सोचें।

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