जानिए क्यों नेशनल हाइवे के पुराने नंबर फिर होंगे बहाल

पुराने नंबर दिल्ली को केंद्र में रखकर दिए गए थे। जबकि नई प्रणाली हाईवे की भौगोलिक अक्षांश-देशांतर स्थिति पर आधारित हैं।राष्ट्रीय राजमार्गों की नई नंबर प्रणाली 28 अप्रैल, 2010 को लागू की गई थी।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ)  : आठ साल बीतने के बाद भी राष्ट्रीय राजमार्गों के नए नंबर लोगों की जुबान पर नहीं चढ़ पा रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार पुराने नंबर फिर से बहाल करने पर विचार कर रही है। पुराने नंबर दिल्ली को केंद्र में रखकर दिए गए थे। जबकि नई प्रणाली हाईवे की भौगोलिक अक्षांश-देशांतर स्थिति पर आधारित हैं।राष्ट्रीय राजमार्गों की नई नंबर प्रणाली 28 अप्रैल, 2010 को लागू की गई थी। अमेरिकी प्रणाली पर आधारित इस व्यवस्था में नंबर हाइवे की भौगोलिक स्थिति आधार पर तय किए गए थे। इसके तहत उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाले हाइवे को सम संख्या देने के साथ पश्चिम से पूर्व की ओर उन्हें बढ़ाया गया था। इसी प्रकार पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले राजमार्गों को विषम संख्या आवंटित करने के साथ उत्तर से दक्षिण की तरफ इसकी बढ़ोतरी की गई थी।उदाहरण के लिए कश्मीर से कन्याकुमारी की ओर जाने वाले हाइवे का नंबर सम होगा। ज्यों-ज्यों पूर्व की ओर बढ़ने पर ये सम संख्या बढ़ती जाएगी। वहीं बिहार तथा बंगाल से दक्षिण की ओर जाने वाले विभिन्न हाइवे के नंबर 4, 6 अथवा 8 या इससे ज्यादा कोई सम संख्या में होंगे। यही बात पश्चिम से पूर्व की ओर जाने वाले हाइवे पर लागू होती है, जिनमें पंजाब या गुजरात से शरू होने वाले हाइवे का नंबर विषम संख्या के अनुसार 1 या 3 से शुरू होगा और ज्यों-ज्यों दक्षिण या नीचे की ओर चलेंगे पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले तमाम हाईवे के विषम नंबर बढ़ते हुए 5, 7 या 9 होते जाएंगे।नए नंबरों के अनुसार देश में कुल 218 राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इनमें 78 प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग और 140 उनसे निकलने वाले शाखा राष्ट्रीय राजमार्ग हैं। इनमें पूर्व से पश्चिम की ओर जाने वाले हाईवे 44 (एनएच-1 से लेकर एनएच-87 तक) और उत्तर से दक्षिण की ओर जाने वाले हाईवे  34 (एनएच-2 से लेकर एनएच-68 तक) हैं। खुद राजमार्ग मंत्रालय के अफसरों को परियोजनाएं तैयार करने में इस कारण असुविधा होती है। नए नंबर के लिए हर बार उन्हें नए और पुराने नंबरों की सूची देखनी पड़ती है और कई बार वे पुराने नंबर ही लिख देते हैं। मसलन, एनएच 9 को अभी भी एनएच 24 ही लिखा जा रहा है। इसी तरह एनएच-1 का नया नंबर एनएच 44, एनएच-2 का नया नंबर एनएच-19 तथा एनएच-8 का नया नंबर एनएच-48 किसी की जबान पर नहीं चढ़ पा रहा है। आम लोगों के लिए भी बड़ी भ्रम की स्थिति है। अपनी याद में उन्होंने हमेशा पुराने नंबर ही देखे, पढ़े और सुने हैं।ज्यादातर जगहों पर राजमार्गों पर अभी भी पुराने नंबर ही लिखे हुए हैं और उन्हें बदला नहीं गया है। केवल नए बनने वाले हाइवे पर ही नई नंबर प्रणाली दिखाई देती है। राजमार्ग मंत्रालय की वेबसाइट को छोड़ गूगल पर भी कहीं नए-पुराने नंबरों की समग्र सूची उपलब्ध नहीं है। सूची मिल भी जाए तो नए और पुराने नंबरों का मिलान कठिन है। चूंकि नए नंबर से हाइवे की पहचान करना मुश्किल है, इसलिए लोग अभी भी पुराने नंबरों का ही इस्तेमाल करना पसंद करते हैं। यही वजह है कि अब पुराने नंबर बहाल करने पर विचार किया जा रहा है। राजमार्ग मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार नई प्रणाली राजग सरकार के समय में शरू की गई थी, इसलिए इसे बदलने का निर्णय आम चुनाव से पहले होने की संभावना है।

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