राजपक्षे-डोभाल मीटिंग: श्रीलंका को हथियार खरीदने के लिए भारत पांच करोड़ डॉलर देगा।

श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने लिखा, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आज बेहद सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :   भारत के एनएसए अजीत डोभाल और श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे के बीच मुलाक़ात हुई। हिंद महासागर में चीन के बढ़ते आर्थिक दबदबे के मद्देनजर भारत ने एक बार फिर श्रीलंका के साथ अपने द्विपक्षीय सैन्य संबंधों को पुराने मजबूत स्तर पर ले जाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल ने पड़ोसी देश पहुंचकर राष्ट्रपति गोटाबाया राजपक्षे से मुलाकात की और श्रीलंकाई सेना के लिए हथियार व अन्य अहम उपकरण खरीदने को भारत की तरफ से 5 करोड़ डॉलर की मदद देने का वादा किया।
इसी कारण डोभाल शनिवार को अचानक श्रीलंका पहुंचे और राष्ट्रपति राजपक्षे से मुलाकात की। इस दौरान दोनों के बीच रक्षा सहयोग बढ़ाने, समुद्री परिवहन सुरक्षा मजबूत करने और खुफिया सूचनाओं के लेनदेन समेत कई अहम द्विपक्षीय मुद्दों पर चर्चा हुई। श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने ट्वीट के जरिये इसकी जानकारी दी। राष्ट्रपति ने लिखा, भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल से आज बेहद सौहार्दपूर्ण चर्चा हुई। इस दौरान राष्ट्रीय सुरक्षा, खुफिया सूचनाओं की साझेदारी, नौवहन सुरक्षा और क्षेत्रीय सहयोग को बढ़ावा देने जैसे कुछ प्रमुख बिंदुओं पर इस दौरान चर्चा हुई। राष्ट्रपति कार्यालय की तरफ से जारी बयान में भी कहा गया कि डोभाल ने भारत की तरफ से श्रीलंकाई सेना के लिए सैन्य उपकरण खरीदने को 5 करोड़ डॉलर की मदद दिए जाने का वादा किया है। डोभाल इस दौरे में कई अन्य शीर्ष श्रीलंकाई राजनयिकों से भी मुलाकात करेंगे। संडे टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति से चर्चा के दौरान भारत ने खुफिया सूचनाएं जुटाने की तकनीक हासिल करने में भी मदद देने का वादा श्रीलंका से किया है। दोनों देशों की सेनाओं और तटरक्षक बलों के बीच सहयोग बढ़ाने को लेकर भी आपस में चर्चा की गई। रिपोर्ट के मुताबिक, राष्ट्रपति कार्यालय के ने कहा कि चर्चा के दौरान डोभाल ने श्रीलंका, मालदीव और भारत के बीच समुद्री क्षेत्र से संबंधित खुफिया जानकार करने की सिफारिश की। बता दें कि भारत का क्षेत्रीय प्रतिद्वंद्वी चीन लंबे समय से इस क्षेत्र में अपने पैर जमाने की कोशिश कर रहा है। इसके लिए उसने मालदीव और श्रीलंका में बंदरगाहों और एक्सप्रेस-वे का निर्माण करने के साथ ही कई एयरपोर्ट को अपग्रेड किया है। श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह का संचालन भी चीन अपने नियंत्रण में ले चुका है। इन सब कारणों से भारत के लिए हिंद महासागर में अपने संबंधों की समीक्षा जरूरी हो गई है। यही कारण है कि श्रीलंका में चीन के प्रति नरम रुख वाले राजपक्षे परिवार के सत्ता में आने के बाद से ही भारत अपने इस पड़ोसी देश को खास तवज्जो दे रहा है। श्रीलंका भी भारत के साथ संबंधों में दोबारा गर्माहट भरने के लिए पूरा सहयोग कर रहा है। नवंबर में राजपक्षे के सत्ता संभालने के महज 3 महीने के अंदर दोनों देशों के बीच कई उच्चस्तरीय मुलाकात हो चुकी है। उनके पद संभालते ही विदेश मंत्री एस. जयशंकर वहां के दौरे पर पहुंचे थे और अब दूसरे शीर्ष भारतीय राजनयिक के तौर पर डोभाल का दौरा हुआ है। इसी तरह श्रीलंकाई राष्ट्रपति ने भी अपने पहले विदेश दौरे के लिए भारत को ही तवज्जो दी थी, जबकि अगले सप्ताह उनके भाई व प्रधानमंत्री महिंद्रा राजपक्षे भी भारतीय दौरे पर आ रहे हैं। पिछले सप्ताह श्रीलंकाई विदेश मंत्री दिनेश गुणवर्धने भारतीय दौरे पर आए थे। भारत की तरफ से श्रीलंका के साथ रक्षा सहयोग बढ़ाने का वादा उस समय किया गया है, जब बृहस्पतिवार को रायसीना डायलॉग में दिल्ली आए रूस के विदेश मंत्री सेर्ज लावारोव ने कहा था कि उन्का देश रक्षा क्षेत्र में श्रीलंका की मदद करने को तैयार है। अन्य कई देश भी श्रीलंका में अपना प्रभुत्व बढ़ाना चाह रहे हैं और इसी कारण पिछले कुछ सप्ताह में अमेरिका के विदेश मंत्री के प्रिंसिपल डिप्टी असिस्टेंट एलिस वेल्स, जापानी विदेश मंत्री टी. मोतेगी और चीनी विदेश मंत्री वांग यी समेत कई देशों के उच्च स्तरीय राजनयिकों ने श्रीलंका का दौरा किया है।

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