अर्णब गोस्वामी का कद और बढ़ा गया टुकड़े गैंग का सिपाही कुणाल कामरा ।
अर्नब गोस्वामी पर बेहद अनर्गल बातें कुणाल कामरा ने पहले भी की हैं। अपने कई वीडियोस में कामरा ने सियाचिन के अत्यंत दुर्गम स्थानों में देश की रक्षा कर रहे जवानों के विषय को सस्ती मसखरी का विषय बनाया है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : आज सुबह से पूरे देश में अर्णब गोस्वामी के साथ कुणाल कामरा द्वारा की गई बदसलूकी का मामला छाया रहा। अर्णब गोस्वामी पत्रकारिता की दुनिया में जीते जी किंवदंती बन चुके हैं। एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल में अपने प्राइम टाइम के सबसे लोकप्रिय डिबेट शो को छोड़ने के बाद उन्होंने जिस तरह से भारत के मीडिया जगत में स्वयं के ‘रिपब्लिक’ चैनल के साथ धमाकेदार वापसी की, उससे वह भारतीय युवाओं के लिए प्रेरणा का विषय बन गए हैं।
ताजा प्रकरण में कुणाल कामरा नाम का यह असफल मसखरा जो अपने आपको कॉमेडियन कहता है, अर्णब को उकसाने के लिए सभ्य लोगों से भरे विमान में बेहद गंवारों वाली भाषा का उपयोग करता सुनाई पड़ रहा है।
रिपब्लिक चैनल के एडिटर इन चीफ और वरिष्ठ पत्रकार अर्णब गोस्वामी अपनी ऑनस्क्रीन छवि के विरुद्ध इस हालात में बेहद शांत दिखाई पड़ रहे हैं। वीडियो में साफ़ दिख रहा है की इस तथाकथित कामेडियन के द्वारा बार-बार उकसाने के बावजूद अर्णब गोस्वामी ने उसकी ओर देखा तक नहीं। असफल हो रहे एक मसखरे की ओर देखकर उसे महत्व देना वास्तव में गोस्वामी जैसे व्यक्तित्व की गरिमा के ख़िलाफ़ है।
अर्णब गोस्वामी पर बेहद अनर्गल बातें कुणाल कामरा ने पहले भी की हैं। अपने कई वीडियोस में कामरा ने सियाचिन के अत्यंत दुर्गम स्थानों में देश की रक्षा कर रहे जवानों के विषय को सस्ती मसखरी का विषय बनाया है। वहीँ अपनी प्रखर राष्ट्रवादी छवि के लिए जाने जाने वाले गोस्वामी ने हर मौके पर देश की रक्षा कर रही सेना के विषय को देश की सर्वोच्च प्रतिष्ठा का विषय बनाते हुए सेना विरोधी वामपंथियों और कश्मीरी अलगाववादियों का प्रतिनिधित्व करने वाली मीडिया को मुंह तोड़ जवाब दिया है।
देश को अन्दर से खोखला कर रहे वामपंथी, अर्बन नक्सल, लुटियंस मीडिया, टुकड़े गैंग, और कश्मीरी अलगाववादियों के हितैषियों को गोस्वामी ने बेहद प्रखरता के साथ देश के सामने नग्न कर दिया है। मीडिया पर पूरी तरह से वामपंथियों के कब्जे की पुरानी परम्परा के आदी हो चुके फूहड़ लुटियंस मीडिया के पत्रकारों को अर्णब की ललकार बिलकुल नहीं सुहाई। ऊपर से गोस्वामी ने अपनी बुलंद आवाज में उन सब मुद्दों को उठाया जिनको वाम मीडिया देश से हमेशा छुपाकर रखना चाहती थी।
देश के सभी लुटियंस और वाम मीडिया के पत्रकारों को अकेले अर्णब गोस्वामी की आवाज सुनकर ही जुलाब हो जाता है। इसलिए अनेकों कोशिशें पहले भी की गईं और अभी भी जारी हैं जिससे गोस्वामी की आवाज को दबाया जा सके।
इन्हीं वामपंथियों के गिरोह में यह मसखरा कुणाल कामरा भी शामिल है। कुणाल के लिए राष्ट्रहित के सभी मुद्दे मजाक का विषय होते हैं। इसलिए देश की जनता को कामरा फूटी आँख नहीं सुहाता। अपनी ख़त्म हुई लोकप्रियता के कारण अब कामरा को कोई काम देना भी पसंद नहीं करता। इसलिए सस्ती लोकप्रियता प्राप्त करने के लिए कुणाल ने गोस्वामी के साथ बदतमीजी करने की यह घटिया हरकत की।
मसखरे कामरा द्वारा की गई इस बदतमीजी की सारे देश ने एक स्वर में निंदा की। कामरा ने यह घटिया हरकत इंडिगो की मुंबई से दिल्ली जाने वाली फ्लाइट 6ई5317 में की थी। इसके बाद इंडिगो ने कामरा पर 6 महीने का बैन लगा दिया है। इसके बाद देश के उड्डयन मंत्रालय ने अर्णब का पक्ष लेते हुए कहा कि यात्रियों की यात्रा में किसी तरह का खलल बर्दाश्त नहीं किया जा सकता, और मंत्रालय ने दूसरी एयरलाइंस को भी इंडिगो का अनुसरण करने की सलाह दी। जिसके बाद तीन और एयरलाइंस एयर इंडिया, स्पाइसजेट और गो एयर ने भी कामरा पर प्रतिबन्ध लगा दिया है।
इस मामले में राहुल गांधी ने कामरा का पक्ष लिया है। इसके पीछे बहुत स्पष्ट कारण राहुल गांधी द्वारा गोस्वामी को दिया गया पहला साक्षात्कार हो सकता है। ऐसा प्रतीत होता है कि गोस्वामी द्वारा लिए गए उस साक्षात्कार में हुए अपने अपमान का बदला राहुल गांधी कामरा की घटिया हरकत का पक्ष लेकर कर रहे हैं। किंतु राहुल को यह समझना चाहिए कि कामरा द्वारा की गई घटिया हरकत कल कोई उनके साथ कोई करे तो वो एयरलाइंस के द्वारा क्या कदम उठाए जाने की अपेक्षा करेंगे।
एयरलाइंस के द्वारा यह कदम उठाए जाने के बाद चारों ओर से फिर अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता की आवाजें उठने लगीं हैं। ऐसे मामलों में ये वाम पंथी यह भूल जाते हैं कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता किसी व्यक्ति को अकारण ही अपमानित कर देने की और दूसरों के काम में बाधा डालने की स्वतंत्रता नहीं देती।
वामपंथियों के साथ हमेशा से ही आजादी मांगने की बीमारी रही है लेकिन मिली हुई आजादी को समझने और उसका सम्मान के साथ उपयोग करने की बुद्धि इनके पास कभी नहीं रही है।
कामरा जैसे लोग जोंक की तरह होते हैं जो अपने जीवनयापन के लिए दूसरों के खून चूसने जैसी घटिया हरकत का सहारा लेते हैं। अर्णब गोस्वामी की गरिमामयी चुप्पी ही इन मसखरों को बहरा कर देने वाला जवाब है।