(न्यूज़लाइवनाउ-India) चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में सुधारों को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. चीन ने कहा है कि यूएनएसी में सुधारों का लाभ कुछ लोगों के स्वार्थों की पूर्ति के बजाय सभी सदस्य देशों को होना चाहिए. चीन की यह टिप्पणी भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर के उस बयान के कुछ दिनों बाद आई है जिसमें उन्होंने कहा था कि एक गैर-पश्चिमी देश यूएनएससी सुधारों को रोक रहा है.
India-China Relation: यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चार यानी अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन यूएनएससी में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर चुके हैं, जबकि चीन इसके विरोध में रहता है. चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता माओ निंग ने गुरुवार को कहा कि जब यूएनएससी सुधारों की बात आती है तो सदस्य देशों को गंभीर और गहन परामर्श के माध्यम से पैकेज समाधान के लिए व्यापक संभव सहमति हासिल करने की जरूरत होती है.
चीन दे रहा चुनौती
माओ निंग ने कहा “चीन का मानना है कि सुरक्षा परिषद में सुधार से विकासशील देशों का प्रभाव और प्रतिनिधित्व प्रभावी ढंग से बढ़ना चाहिए. अधिक छोटे और मध्यम आकार के देशों को संगठन के निर्णय लेने में भाग लेने का अवसर मिलना चाहिए.” दरअसल, भारत ने खुद को जापान, जर्मनी और ब्राजील के साथ विस्तारित यूएनएससी में स्थायी सीट के लिए दावा पेश किया है. यूएनएससी के पांच स्थायी सदस्यों में से चार यानी अमेरिका, रूस, फ्रांस और ब्रिटेन यूएनएससी में भारत की उम्मीदवारी का समर्थन कर चुके हैं, जबकि चीन इसके विरोध में रहता है. इसके अलावा, चीन ने पहले भी कई बार संयुक्त राष्ट्र की ओर से पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों को अंतरराष्ट्रीय आतंकवादियों की सूची में दर्ज कराने के प्रयासों को रोका है.
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वांग ने एक सम्मेलन में कहा कि ऐसी दुनिया में जो परिवर्तन और उथल-पुथल दोनों से गुजर रही है, वहां देशों को उम्मीद है कि संयुक्त राष्ट्र वैश्विक चुनौतियों से निपटने में प्रभावी ढंग से अग्रणी भूमिका निभाएगा और सुरक्षा परिषद संयुक्त राष्ट्र चार्टर की ओर से उसे सौंपी गई अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा बनाए रखने की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाएगा. वांग ने कहा कि चीन सही दिशा में यूएनएससी सुधारों की निरंतर प्रगति का समर्थन करता है, विकासशील देशों का प्रतिनिधित्व और आवाज बढ़ाता है, अधिक छोटे और मध्यम आकार के देशों को निर्णय लेने में भाग लेने का अवसर देता है और सभी सदस्य देशों को सुधारों से लाभ उठाने में सक्षम बनाता है.
पिछले हफ्ते रायसीना डायलॉग में जयशंकर ने कहा था कि वैश्विक व्यवस्था में आमूलचूल तत्काल बदलाव की जरूरत है लेकिन यूएनएससी सुधारों का सबसे बड़ा विरोधी कोई पश्चिमी देश नहीं है.उन्होंने कहा “जब संयुक्त राष्ट्र का निर्माण हुआ तो इसमें लगभग 50 सदस्य थे. आज इसमें चार गुना सदस्य हैं. इसलिए, यह एक सामान्य ज्ञान का प्रस्ताव है कि जब आपके पास चार गुना सदस्य हों तो आप उसी तरह जारी नहीं रह सकते. आइए समस्या की समग्रता को ठीक से समझें. हमें बदलाव के लिए समूह बनाने के लिए धीरे-धीरे संघर्ष करना होगा.”
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