कैसे और कहाँ पकड़ा गया भगोड़ा अमृतपाल, कब और कैसे किया सरेंडर, जाने पूरी ख़बर
आखिरकार पंजाब से 18 मार्च से फरार खालिस्तानी समर्थक भगोड़ा अमृतपाल सिंह पकड़ा गया। सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस की कई दिनों की तलाश आखिरकार सफल हुई । अमृतपाल के फरार होने के बाद से उसके समर्थकों और करीबियों पर शिकंजा कसता चला गया। पुलिस उसकी तलाश पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के साथ-साथ भारत से लगी सीमाओं तक रही थी।
(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): आखिरकार पंजाब से 18 मार्च से फरार खालिस्तानी समर्थक भगोड़ा अमृतपाल सिंह पकड़ा गया। सुरक्षा एजेंसियां और पुलिस की कई दिनों की तलाश आखिरकार सफल हुई । अमृतपाल के फरार होने के बाद से उसके समर्थकों और करीबियों पर शिकंजा कसता चला गया। पुलिस उसकी तलाश पंजाब के अलावा हरियाणा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, उत्तराखंड के साथ-साथ भारत से लगी सीमाओं तक रही थी। पुलिस ने रविवार सुबह अमृतपाल सिंह को मोगा के गुरुद्वारा से सरेंडर के बाद गिरफ्तार किया है। अमृतपाल सिंह पुलिस के हाथ करीब 36 दिन बाद लगा है। प्राप्त सूत्रों के अनुसार मोगा के गांव रोड़े के गुरुद्वारा में सरेंडर करने से पहले उसने गुरुद्वारा साहिब से संबोधित किया था। यह जरनैल सिंह भिंडरावाला का गांव है। यही उसकी दस्तारबंदी हुई थी। उसने कहा कि उसके जैसे आते जाते रहेंगे, लेकिन युवा नशे छोड़े और अमृत ग्रहण करे। आइए जानते हैं अमृतपाल की कहानी में अब तक क्या हुआ।
पंजाब में माहौल बिगड़ने की आशंका के मद्देनजर मोबाइल इंटरनेट सेवाएं बंद कर दी गई थीं। पंजाब सरकार की तरफ से जारी आदेश में कहा गया था कि जनता के हित में पंजाब के क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र में सभी मोबाइल इंटरनेट सेवाएं, सभी एसएमएस सेवाएं और वॉयस कॉल को छोड़कर मोबाइल नेटवर्क पर प्रदान की जाने वाली सभी डोंगल सेवाएं निलंबित की गई थीं। सरकार ने ऐसा आंदोलनकारियों और प्रदर्शनकारियों की भीड़ को रोकने के लिए किया था।
अमृतपाल को पंजाब और उत्तराखंड में अलग-अलग स्थान पर देखे जाने की खबरें आईं, लेकिन पुलिस के उस स्थान तक पहुंचने से पहले ही अमृतपाल किसी दूसरी जगह दिखाई दे जाता। जालंधर के शाहकोट में पुलिस को अमृतपाल के बाइक पर भागने की खबर मिली। घेराबंदी भी की गई लेकिन अमृतपाल बच निकलने में सफल रहा। इसी तरह होशियारपुर में भी अमृतपाल का पता चला, लेकिन पुलिस के एक्शन में आने से पहले वह इस जिले से भी निकल गया।
अमृतपाल ने 29 मार्च को एक वीडियो जारी किया था, जिसमें उसने दावा किया था कि वह बच निकलने में कामयाब रहा है और अब सुरक्षित है। भगोड़ा अमृतपाल कभी राजस्थान के काला बांगा में तो कभी उत्तराखंड के पीलीभीत में छिपा बताया गया। अमृतपाल ने सशर्त आत्मसमर्पण की बात भी कही थी, लेकिन इस संबंध में भी पुलिस के सारे अनुमान गलत साबित हुए थे। पुलिस का अनुमान था कि अमृतपाल ने वीडियो में सरबत खालसा बुलाने का आह्वान इसलिए किया है, ताकि वह किसी बड़े गुरुद्वारे में संगत की मौजूदगी में आत्मसमर्पण करे। इसके आधार पर पुलिस ने वैसाखी पर राज्य के सभी बड़े गुरुद्वारों में सुरक्षा व्यवस्था और बैरिकेडिंग की, लेकिन अमृतपाल कहीं नहीं पहुंचा था। इसके बाद पुलिस को शक था कि अमृतपाल पंजाब-हरियाणा या पंजाब-राजस्थान के सीमावर्ती गांवों में छिपा हो सकता है।
पंजाब पुलिस की बीते एक महीने की जद्दोजहद को लेकर दावा किया था कि अमृतपाल दो बार चकमा देकर बच निकलने में कामयाब रहा, लेकिन पुलिस की असफलता पर भी सवाल खड़े होने लगे थे और पूरे घटनाक्रम को पंजाब पुलिस और खुफिया तंत्र की नरमी करार दिया जा रहा था। सिख नेताओं ने खुलेआम आरोप लगाए थे कि अमृतपाल सिंह के मामले में राजनीतिक साठगांठ है। पुलिस और उसकी एजेंसियों की तैनाती के अलावा अमृतपाल की गिरफ्तारी में मिली असफलता पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने भी सवाल उठाए थे। पंजाब पुलिस ने अमृतपाल के खिलाफ एनएसए के तहत केस दर्ज किया हुआ है, लेकिन अब तक सिर्फ अमृतपाल के समर्थक और भागने में मदद करने वाले ही पुलिस के हत्थे चढ़े थे।
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