(न्यूज़लाइवनाउ-Delhi) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि उनकी निजी मान्यता है कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। उनका कहना है कि देश में कानून-व्यवस्था से जुड़े अधिकतर तनावों की जड़ भाजपा और आरएसएस की गतिविधियों में देखी जा सकती है। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि महात्मा गांधी की हत्या के बाद खुद सरदार वल्लभभाई पटेल ने भी आरएसएस की कठोर आलोचना की थी।
शुक्रवार को खरगे ने दोहराया कि उनकी व्यक्तिगत राय में आरएसएस पर बैन लागू होना चाहिए, क्योंकि देश में उत्पन्न ज्यादातर प्रशासनिक और सामाजिक अव्यवस्थाएँ भाजपा-आरएसएस के असर से उपजी हैं।
पटेल की जयंती पर पीएम मोदी के आरोपों का जवाब
सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी द्वारा कांग्रेस पर किए गए हमलों का जवाब देते हुए, खरगे ने पटेल के उस ऐतिहासिक वक्तव्य का हवाला दिया जिसमें उन्होंने 1948 में गांधीजी की हत्या के बाद आरएसएस के रवैये की निंदा की थी।
आरएसएस पर प्रतिबंध के सवाल पर खरगे ने कहा कि यह उनकी निजी सोच है, और ऐसा कदम उठाया जाना चाहिए क्योंकि ज्यादातर राष्ट्रीय मुद्दे और सुरक्षा संबंधी समस्याएं भाजपा-आरएसएस से जुड़ी दिखाई देती हैं। उन्होंने कहा कि आज देश सरदार पटेल की जन्म वर्षगांठ और पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की पुण्यतिथि मना रहा है—एक ‘आयरन मैन’ और दूसरी ‘आयरन लेडी’, जिन्होंने देश की अखंडता को मजबूत करने में निर्णायक भूमिका निभाई
खरगे ने उस पत्र का भी उल्लेख किया जो सरदार पटेल ने उस समय के मंत्री श्यामा प्रसाद मुखर्जी को भेजा था। पत्र में पटेल ने लिखा था कि आरएसएस के कार्यकलापों ने ऐसा वातावरण तैयार किया जिसने गांधीजी की हत्या जैसी घटना को जन्म दिया।
नेहरू को राष्ट्र का आदर्श नेता बताया
कांग्रेस प्रमुख ने कहा कि भाजपा लगातार यह प्रचारित करने की कोशिश करती है कि नेहरू और पटेल के बीच गंभीर मतभेद थे, जबकि वास्तविकता इसके बिल्कुल उलट है। उन्होंने बताया कि नेहरू ने देश के एकीकरण में पटेल की निर्णायक भूमिका को सराहा था और पटेल ने नेहरू को राष्ट्र का आदर्श नेता बताया था।
खरगे का यह वक्तव्य उस समय सामने आया जब प्रधानमंत्री मोदी ने दावा किया कि सरदार पटेल कश्मीर को भी भारत में विलय करना चाहते थे, लेकिन पंडित नेहरू ने ऐसा होने नहीं दिया। मोदी ने कांग्रेस पर तंज करते हुए कहा कि पार्टी आज भी औपनिवेशिक काल की मानसिकता से बाहर नहीं निकल पाई है, जबकि देश अब उपनिवेशवादी सोच के अवशेषों को समाप्त कर रहा है।
सरदार वल्लभभाई पटेल का जन्म 1875 में गुजरात के नाडियाड में हुआ था। वे स्वतंत्रता आंदोलन के अग्रणी नेताओं में शामिल थे और देश के संवैधानिक एकीकरण के लिए उनकी दृढ़ता के कारण उन्हें ‘भारत का लौह पुरुष’ कहा जाता है। उनका निधन 1950 में हुआ।
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