ऑर्बिट स्थानांतरित के वजह से Luna-25 हुआ क्रैश। 47 वर्षों के बाद रूस का पहला मून मिशन था।

( न्यूज़लाइवनाउ ): रविवार को मून मिशन Luna-25 गलत ऑर्बिट चाँद के सतह से क्रैश होगया। उसका फिलहाल कुछ अता-पता नहीं चल रहा है। यह जानकारी रूस की स्पेस एजेंसी ROSKOSMOS ने दी है। 47 वर्षों के बाद रूस का पहला मून मिशन था। एक दिन पहले Roskosmos ने प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में Luna-25 को भेजने में दिक्कत के बारे में बताया था। Roskosmos ने रविवार को बयान में कहा कि स्पेसक्राफ्ट एक अप्रत्याशित कक्षा में चला गया और चंद्रमा की सतह से टकराकर वह दुर्घटनाग्रस्त हो गया।

मैनूवर्स के कारन हुई Luna-25 क्रैश
स्पेस एजेंसी का कहना था कि मिशन कंट्रोल ने शनिवार को स्पेसक्राफ्ट को 11 बजकर 10 मिनट (GMT) प्री-लैंडिंग ऑर्बिट में ले जाने की कोशिश की तो एक ‘असामान्य स्थिति’ पैदा हो गई। रूसी अंतरिक्ष एजेंसी Roskosmos ने कहा की तय किये गए पैरामीटर्स पर मैनूवर्स नहीं हो पाया तभी Luna-25 एक अनपेक्षित ऑर्बिट में चला गया और स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गया था।

कभी स्पेस में रूस का डंका बजता था
रूस के इस स्पेस मिशन के फेल होने से उसकी उम्मीदों टूट गई। रूस ने ही पहली बार धरती की कक्षा के बाहर 1957 में स्पूतनिक-1 लॉन्च किया था। इसके बाद साल 1961 में सोवियत एस्ट्रोनॉट यूरी गागरिन स्पेस में जाने वाले पहले शख्स बने। वर्ष 1976 में सोवियत युग के लूना-24 मिशन के बाद लगभग 47 वर्षों के बाद पहली बार, 10 अगस्त को लूना-25 अंतरिक्ष में भेजा गया। इसने चांद के लिए ज्यादा सीधे रास्ते को अपनाया था और अनुमान था कि यह लगभग 11 दिन में 21 अगस्त तक लैंडिंग की कोशिश करेगा। लूना-25 की इस तेज यात्रा का श्रेय मिशन में इस्तेमाल यान के हल्के डिजाइन और कुशल ईंधन भंडारण को दिया गया, जो इसे अपने गंतव्य तक छोटा रास्ता तय करने में सक्षम बनाता है।

भारत के चंद्रयान-3 के साथ Luna-25 का था टक्कर
चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर पहले पहुंचने के लिए भारत के चंद्रयान-3 और रूस के लूना-25 के बीच रेस चल रही थी। चंद्रयान को 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर लैंडिंग करनी है। बता दें कि चंद्रमा का दक्षिणी ध्रुव अपने संभावित जल संसाधनों और कमाल की भूवैज्ञानिक खासियतों के कारण वैज्ञानिकों की दिलचस्पी का केंद्र बना हुआ है। यह अज्ञात जगह फ्यूचर के मून मिशन के लिए जरूरी है, जिसमें अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का आगामी आर्टेमिस-तीन मिशन भी शामिल है, जिसका मकसद पांच दशक के अंतराल के बाद मानव को चंद्रमा पर ले जाना है।

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