बलिदान दिवस: कश्मीर के रक्षक कर्नल मुनीन्द्रनाथ राय, आतंकी का अब्बा पुलिसवाला था, उसी ने दिया था धोखा !

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : नई दिल्ली। राष्ट्रीय राइफल्स के कर्नल मुनींद्रनाथ राय को उनके बेमिसाल नेतृत्व के लिए युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया जाता है. बटालियन ने उनकी अगुवाई में हिजबुल मुजाहिदीन के चार खुंखार आतंकवादियों का खात्मा किया, 9 आतंकवादियों को गिरफ्तार किया और उनके दो ठिकानों को तबाह कर दिया. कर्नल मुनींद्रनाथ राय की अगुवाई में आतंकवाद से जूझ रहे त्राल में सेना का दबदबा कायम हो गया है और श्री अमरनाथ यात्रा का रास्ता अब पूरी तरह सुरक्षित हो गया है. 26 जनवरी को भारत के राष्ट्रपति भवन ने कर्नल मुनींद्र नाथ राय की असाधारण वीरता की ये कहानी सुनाते हुए उन्हें युद्ध सेवा मेडल से सम्मानित किया था. और महज 24 घंटे बाद 27 जनवरी को कश्मीर के उसी त्राल इलाके में जिस वीर का सम्मान किया जा रहा था उसके बलिदान होने की खबर आई. जब सेना ने कर्नल के नेतृत्व में आतंकियों को चारो तरफ से घेर लिया तब उन आतंकियों के आत्मसमर्पण की खबर लेकर एक बुजुर्ग बाहर निकला था.. वो कश्मीर पुलिस में हेडकांस्टेबल था .. कर्नल साहब ने इसीलिए उस पर विश्वास कर लिया और उस से आतंकियों को निहत्थे ही बाहर निकालने के लिए कहा ..पर आतंकियों के मंसूबे सफल करने में कामयाब हो गया आतंकी आबिद का वो पुलिसवाला अब्बा और उन्होंने भारी गोलीबारी शुरू कर दी … जब तक बाकी सैनिक उनकी गोलियों का जवाब दे पाते तब तक कर्नल राय व एक CRPF के हेडकांस्टेबल सदा सदा के लिए अमर हो चुके थे . बलिदान होने से पहले कर्नल राय आतंकी फिरदौस व सिराज को उनके असली अंजाम तक पहुचा चुके थे जो इस्लामिक आतंकी दल हिजबुल मुजाहिदीन के थे..बाकी जवानों ने अन्य को भी सदा के लिए खामोश कर दिया।

आतंकी आबिद के पिता हेड कांस्टेबल हैं और उन्होंने ही आतंकियों की धोखा देने में मदद की थी. मुनींद्र नाथ राय की वीरगति के पीछे हेडकांस्टेबल पिता और आतंकी बेटे की साजिश थी. ऐसी ही साजिशों के जाल में फंस कर हमारे कई वीर बलिदान हो चुके हैं ..इनके पराक्रम की गूंज आज भी कश्मीर की वादियों में गूंजती है .. 26 जनवरी को भारतीय सेना के कर्नल मुनीन्द्र नाथ राय को कश्मीर में उत्कृष्ट सेवा के लिए वीरता पदक से सम्मानित किया गया था. पुरष्कृत होने के अगले ही दिन जम्मू-कश्मीर में आतंकवादियों के साथ हुई मुठभेड़ में वे शहीद हो गए | 42 वीं राष्ट्रीय राईफल्स के कोमान्डिंग आफीसर (सी ओ) कर्नल राय दक्षिण कश्मीर के पुलवामा जिले के एक गांव में संदिग्ध अलगाववादी आतंकियों के खिलाफ ट्राल शहर के नजदीक हन्डूरा जंगल में सेना और जम्मू कश्मीर पुलिस के एक साझा अभियान का नेतृत्व कर रहे थे । यह अभियान आतंकवादियों की धरपकड़ के लिए चलाया जा रहा था | सेना को सूचना मिली थी कि जंगल में बड़े पैमाने पर आतंकी छुपे हुए हैं | पुलिस अधीक्षक ताहिर सलीम के अनुसार इस मुठभेड़ में एक पुलिसकर्मी और हिजबूल मुजाहिदीन के दो आतंकवादी भी मारे गए । आतंकियों की पहचान फिरदौस अहमद और शिराज अहमद के रूप में हुई है |

एक जहरीली सोच से प्रारम्भ हुए उग्रवाद का सामना करने के लिए हजारों सैनिकों की नियुक्ति की गई है | यद्यपि पिछले कुछ वर्षों में उग्रवाद पर कुछ लगाम लगी है, किन्तु अफगानिस्तान से विदेशी बलों की वापसी के बाद पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी समूह अब दोबारा कश्मीर का रुख कर सकते हैं | यह परिस्थिति भारत के लिए निश्चय ही चिंताजनक है. उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में सुहवल क्षेत्र के डेढ़गांवा गांव के मूल निवासी 39 वर्षीय कर्नल मुनींद्र नाथ राय (एमएन राय) का परिवार गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रपति पदक मिलने की खुशियां मना रहा था। लोग बार-बार मुनींद्र की बहादुरी के चर्चे में मशगूल थे, इसी बीच उनके आतंकी हमले में शहीद होने की खबर पहुंची। वृद्ध पिता नागेन्द्र राय तो जैसे बेसुध हो गए। मां और अन्य लोगों की हालत भी कुछ इसी तरह की हो गई। धीरे-धीरे पूरे गांव में मुनींद्र के शहीद होने की खबर पहुंची और लोग उनके घर पर जुट गए। गांव के लोगों की जुबान पर सिर्फ मुनींद्र की बहादुरी के चर्चे थे। हर कोई उनके बलिदान होने से मर्माहत दिखा।

प्रिंसिपल के पद से रिटायर हुए नागेन्द्र राय के तीनों बेटे डीएन राय, वाईएन राय और एमएन राय देश की सेवा करने के लिए सेना में भर्ती हो गए। आतंकी घटना में शहीद हुए मुनीन्द्र अगले हफ्ते रामायण के लिए परिवार समेत घर आने वाले थे। हर साल धूमधाम से रामायण और अन्य कार्यक्रम होता है। ग्रामीणों के अनुसार गांव में रामायण का प्रतिवर्ष बड़ा आयोजन किया जाता है। सेना में कार्यरत तीनों भाई भी परिवार के साथ रामायण के कार्यक्रम में शामिल होते रहे हैं। पूरे गांव में भंडारा किया जाता था। उसमें सभी लोग खुशी खुशी शामिल होते थे। मां की तबियत खराब होने पर बलिदानी मुनीन्द्र जी दो माह पहले यहां आए थे। बीमार होने के चलते मां से कहा कि यहां अच्छे डाक्टर नहीं है, तुमको दिल्ली ले चल रहे है, वहीं तुम्हारा अच्छे से इलाज करवाएंगे। इसके बाद मुनीन्द्र मां शिवदुलारी को अपने साथ लेकर दिल्ली चले गए थे।  कर्नल राय का दो माह पूर्व लिखा गया व्हाट्स एप सन्देश उनके जीवट को दर्शाता है.

“Play your role in life with such passion, that even after the curtains come down, the applause doesn’t stop.”

जीवन में अपनी भूमिका ऐसे निर्वाह करो, कि जब पर्दा गिरे तो प्रशंसा न थमे | 

आज भारत मां के उस जांबाज़ बेटे कर्नल मुनीन्द्र राय के बलिदान दिवस पर उनको बारंबार नमन करते हुए उनकी यशगाथा को सदा सदा के लिए अमर रखने का संकल्प NLN परिवार दोहराता है ..साथ ही सतर्क करता है आतंकियों से लड़ते बाकी जवानों को गद्दारों की झूठी बातों में आ कर उनके साथ किसी भी प्रकार की नरमी बरतने के बारे में!

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