यूपी सरकार मथुरा के पेड़े, आगरा का पेठा और कानपुर के सत्तू को GI टैग दिलाने की तैयारी में, मिलेगी दुनियाभर में पहचान

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : मलवां का पेड़ा, मथुरा का पेड़ा, फतेहपुर सीकरी की नमक खटाई, आगरा का पेठा, इग्लास अलीगढ़ की चमचम मिठाई, कानपुर नगर का सत्तू और बुकनू, प्रतापगढ़ी मुरब्बा, मैगलगंज का रसगुल्ला, संडीला के लड्डू व बलरामपुर के तिन्नी चावल आदि को भी जीआई टैग मिल सकता है। उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Shasan) इसके लिए प्रयासरत है।

जीआई टैग के लिए आवेदन
इन सभी खाद्य उत्पादों को उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से जीआई टैग दिलाने के लिए आवेदन किया जा रहा है। कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग इस दिशा में प्रयास कर रहा है। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के चौसा आम, वाराणसी, जौनपुर और बलिया के बनारसी पान (पत्ता), जौनपुर की इमरती जैसे कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पादों का आवेदन पहले ही किया जा चुका है, जिनकी पंजीयन प्रक्रिया अंतिम चरण में है। राज्य के कुल 36 उत्पाद ऐसे हैं, जिन्हें जीआई टैग मिल चुका है। इसमें 6 उत्पाद कृषि से जुड़े हैं। वहीं, भारत के कुल 420 उत्पाद जीआई टैग के तहत पंजीकृत हैं, जिसमें से 128 उत्पाद कृषि से संबंधित हैं।

आम, अमरूद, पान को पहले ही मिल चुका है टैग
कृषि विपणन एवं कृषि विदेश व्यापार विभाग की ओर से मुख्य सचिव डीएस मिश्रा के समक्ष ‘अतुल्य भारत की अमूल्य निधि’ विषय पर हुए भौगोलिक उपदर्शन वेबिनार में प्रदेश के कृषि उत्पादों को लेकर संभावनाओं पर प्रस्तुतिकरण हुआ। अपर मुख्य सचिव देवेश चतुवेर्दी ने जीआई टैग वाले कृषि उत्पादों के लाभ एवं महत्व के बारे में जानकारी दी। अभी उत्तर प्रदेश के जो 6 उत्पाद जीआई टैग में पंजीकृत हैं, उनमें इलाहाबादी सुर्खा अमरूद, मलिहाबादी दशहरी आम, गोरखपुर-बस्ती एवं देवीपाटन मंडल का काला नमक चावल, पश्चिमी यूपी का बासमती, बागपत का रतौल आम और महोबा का देसावरी पान शामिल है।
15 उत्पादों के लिए प्रक्रिया लंबित
ऐसे करीब 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद हैं, जिनके जीआई टैगिंग हेतु पंजीयन की प्रक्रिया लंबित है। इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ आंवला, बनारस लाल पेड़ा, बनारस लाल भरवा मिर्च, यूपी का गौरजीत आम, चिरईगांव करौंदा आफ वाराणसी, पश्चिम यूपी का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस ठंडई, जौनपुर इमरती, मुजफ्फरनगर गुड़, बनारस तिरंगी बरफी और रामनगर भांटा शामिल है।

15 उत्पादों के लिए प्रक्रिया लंबित
ऐसे करीब 15 कृषि एवं प्रसंस्कृत उत्पाद हैं, जिनके जीआई टैगिंग हेतु पंजीयन की प्रक्रिया लंबित है। इनमें बनारस का लंगड़ा आम, बुंदेलखंड का कठिया गेहूं, प्रतापगढ़ आंवला, बनारस लाल पेड़ा, बनारस लाल भरवा मिर्च, यूपी का गौरजीत आम, चिरईगांव करौंदा आफ वाराणसी, पश्चिम यूपी का चौसा आम, पूर्वांचल का आदम चीनी चावल, बनारसी पान (पत्ता), बनारस ठंडई, जौनपुर इमरती, मुजफ्फरनगर गुड़, बनारस तिरंगी बरफी और रामनगर भांटा शामिल है।

क्या है जीआई टैग
जीआई टैग किसी क्षेत्र में पाए जाने वाले कृषि उत्पाद को कानूनी संरक्षण प्रदान करता है। जीआई टैग द्वारा कृषि उत्पादों के अनाधिकृत प्रयोग पर अंकुश लगाया जा सकता है। यह किसी भौगोलिक क्षेत्र में उत्पादित होने वाले कृषि उत्पादों का महत्व बढ़ा देता है। अंतर्राष्ट्रीय बाजार में जीआई टैग को एक ट्रेडमार्क के रूप में देखा जाता है। इससे निर्यात को बढ़ावा मिलता है, साथ ही स्थानीय आमदनी भी बढ़ती है तथा विशिष्ट कृषि उत्पादों को पहचान कर उनका भारत के साथ ही अंतर्राष्ट्रीय बाजार में निर्यात और प्रचार प्रसार करने में आसानी होती है।

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