कुलभूषण जाधव की मां-पत्नी के साथ हुई ‘बदसलूकी’ पर सुषमा ने लगाई पाकिस्तान को फटकार

पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक कुलभूषण जाधव से मिलने के लिए वहां गईं उनकी मां और उनकी पत्नी के साथ इस्लामाबाद में किए गए ‘अशिष्ट’ व्यवहार की संसद के दोनों सदनों में आज कड़ी निंदा की गई। विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने लोकसभा और राज्यसभा में दिए गए एक बयान में कहा कि इस मुलाकात में जाधव के परिवार वालों के मानवाधिकारों का पूरी तरह उल्लंघन किया गया और उन्हें भयभीत करने वाला वातावरण वहां पैदा किया गया, जिसकी जितनी निंदा की जाए, कम है। सुषमा के बयान का सभी विपक्षी दलों ने समर्थन किया और संसद में पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाए।


पाक ने नहीं दिखाई मानवता
सुषमा ने कहा ‘‘हालांकि पाकिस्तान जाधव की उनकी मां और पत्नी से मुलाकात को मानवतापूर्ण संकेत के तौर पर प्रर्दिशत कर रहा था लेकिन सच तो यह है कि मानवता और सद्भाव के नाम पर हुई इस मुलाकात में से मानवता भी गायब थी और सद्भाव भी।’’ उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुरक्षा के नाम पर जाधव की मां और पत्नी के कपड़े बदलवाए, उनके मंगलसूत्र, बिंदी,चूड़ियों सहित उनके गहने उतरवा लिए।

पाक का झूठ आया सामने
पाकिस्तान का यह दावा सत्यता से पूरी तरह परे है कि जाधव की पत्नी के जूतों में कोई उपकरण था। उन्होंने कहा कि जाधव की मां और पत्नी दुबई होते हुए इस्लामाबाद पहुंचीं और दोनों जगहों पर हवाईअड्डे पर वह सुरक्षा जांच से गुजरी थीं लेकिन तब कोई उपकरण का पता नहीं चला था। उन्होंने कहा ‘‘जाधव की उनके परिवार वालों से मुलाकात आगे की दिशा में बढ़ने वाला एक कदम साबित हो सकती थी लेकिन यह खेद की बात है कि दोनों देशों के बीच बनी सहमति से हट कर इस मुलाकात का आयोजन किया गया। 22 माह बाद एक मां की अपने बेटे से और एक पत्नी की अपने पति से होने वाली भावपूर्ण भेंट को पाकिस्तान ने एक दुष्प्रचार के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया।’’ सुषमा ने कहा ‘‘दो दिन पहले विदेश मंत्रालय ने इस संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी थी। और बाद में इस मुलाकात से उपजी आपत्तियों को हमने राजनयिक माध्यमों से पाकिस्तान को भी अवगत करा दिया है।’’

पाक मीडिया ने दिए मां-पत्नी को ताने
उन्होंने कहा ‘‘हमारे बीच यह स्पष्ट समझौता था कि मीडिया को जाधव के परिवार वालों के पास आने की अनुमति नहीं दी जाएगी। लेकिन पाकिस्तानी प्रेस को न केवल परिवार वालों के पास आने का मौका दिया गया बल्कि उन्हें ताने दिए गए, अपशब्दों से संबोधित कर परेशान किया गया, उन पर झूठे आरोप लगाए गए और जाधव को जबरन आरोपी सिद्ध करने का प्रयास किया गया।’’ उन्होंने कहा ‘‘इतना ही नहीं, मुलाकात के बाद जो कार जाधव के परिवार वालों और भारतीय राजनयिक को ले जाने के लिए दी गई थी उसे जानबूझकर रोक कर रखा गया ताकि मीडिया को उन्हें परेशान करने और एक ओर मौका मिल सके।’’

मां को बोलने से रोका गया
सुषमा ने बताया कि जाधव की मां अपने बेटे से मराठी में बात करना चाहती थीं। लेकिन उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी गई। उस दौरान वहां बैठी दो पाकिस्तानी अधिकारियों ने लगातार उन्हें टोका और जब जाधव की मां और पत्नी अपनी बात पर डटी रहीं तो उनका इंटरकॉम बंद कर दिया गया ताकि बातचीत आगे न बढ़ पाए। विदेश मंत्री ने बताया कि भारत के उप उच्चायुक्त जाधव के परिवार के साथ इस मुलाकात के लिए गए थे। उनको बिना बताए परिवार वालों को पिछले दरवाजे से बैठक के लिए ले जाया गया जिससे उप-उच्चायुक्त देख नहीं पाए कि जाधव की मां और पत्नी के कपड़े बदलवा कर और बिंदी-चूड़ी मंगलसूत्र उतरवा कर ले जाया जा रहा है। वरना वह वहीं विरोध जताते।




विधवा की तरह मां को पेश किया
सुषमा ने बताया कि आज सुबह ही उन्होंने एक बार फिर जाधव की मां से बात की जिन्होंने उन्हें बताया कि जब उनकी बिंदी, चूड़ी और मंगलसूत्र उतरवाए जा रहे थे तब उन्होंने कहा था कि यह उनके सुहागचिह्न हैं और इन्हें उन्होंने कभी नहीं उतारे हैं, इसलिए यह न निकलवाया जाए। इस पर पाकिस्तानी अधिकारी ने जवाब दिया कि वह तो उन्हें मिले आदेश का पालन कर रही हैं। जाधव की मां ने उन्हें बताया कि जब वह अपने बेटे के सामने पहुंचीं तो मां को ऐसे बिना बिंदी और जूड़ी के देख जाधव ने पहला सवाल किया ‘‘बाबा कैसे हैं।’’ जाधव को भी मां को ऐसे देख लगा कि कहीं कोई अनहोनी न हो गई हो। उन्होंने कहा कि जाधव की मां हमेशा साड़ी पहनती हैं लेकिन उन्हें वहां सलवार कमीज पहनाई गई।

जूते पर पाक ने खेली गेम
विदेश मंत्री ने कहा कि जाधव की पत्नी के जूते मुलाकात के पहले उतरवा कर उन्हें चप्पल पहनाई गई थी। मुलाकात के बाद बार-बार मांगने पर भी उनके जूते नहीं लौटाए गए। उन्होंने कहा ‘‘लगता है कि पाकिस्तानी अधिकारी इसमें भी कोई शरारत करने वाले हैं जिसके बारे में हमने उन्हें कल भेजे गए नोट में सचेत कर दिया है।’’

सिखा पढ़ाया नोट पढ़ रहे थे जाधव
‘‘मां और पत्नी ने बताया कि जाधव बेहद तनाव में दिख रहे थे और ऐसा लग रहा था कि वह दबाव में बोल रहे हैं। बातचीत आगे बढऩे पर यह साफ हो गया कि उन्हें कैद करने वालों ने उनको जो सिखा पढ़ा कर भेजा था वह वही बोल रहे थे और इसका उद्देश्य उनकी तथाकथित गतिविधियों की झूठी कहानी को सही सिद्ध करना था। उनकी बोलचाल और हावभाव से पता चल रहा था कि वह पूरी तरह स्वस्थ भी नहीं हैं।’’ सुषमा ने कहा ‘‘हमने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में जाधव के पक्ष में एक याचिका दायर की। इस याचिका के फलस्वरूप हम अस्थायी तौर पर उनकी मृत्युदंड की सजा रूकवाने में सफल रहे। यह मृत्युदंड जाधव को पाकिस्तान की सैन्य अदालत ने उपहास भरे तरीके से चलाए गए मुकद्दमे में सुनाया गया था। उनके जीवन पर मंडरा रहे खतरे को अभी टाल दिया गया है और हम अधिक मजबूत तर्कों के आधार पर अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय द्वारा स्थायी राहत दिए जाने का प्रयास कर रहे हैं।’’ बाद में सुषमा ने यही बयान लोकसभा में भी दिया। सुषमा के बयान के बाद सभी राजनीतिक दलों के सदस्यों ने पाकिस्तान के आचरण की सदन में कड़ी निंदा कीं राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि पूरा सदन सरकार से जाधव की सुरक्षित रिहाई के लिए कदम उठाने का आह्वान करता है। उन्होंने कहा कि सदन अंतर्राष्ट्रीय समुदाय से पाकिस्तान के आचरण की निंदा करने का अनुरोध भी करता है।

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