गुजरात: कांग्रेस में टिकट बंटवारे पर मचा बवाल, सीटों की दाव पेच में उलझी पार्टी

अहमदाबाद: गुजरात कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद बवाल हो रहा है। इसकी वजह से पार्टी हाईकमान परेशान हो गया है। अब ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी यानी AICC ने यहां डैमेज कंट्रोल के लिए टीम भेजी है। न्यूज एजेंसी के मुताबिक, इस टीम में चार नेता हैं। ये टीम नाराज पार्टी वर्कर्स और नेताओं को मनाने की कोशिश कर रही है। बता दें कि सूरत में कांग्रेस को कामयाबी की उम्मीद दिख रही थी लेकिन, यहां के तीन बड़े नेताओं ने टिकट बंटवारे से नाराज होकर पार्टी ही छोड़ दी। इसी वजह से कांग्रेस हाईकमान को अब नतीजों की फिक्र होने लगी है। बता दें कि गुजरात कांग्रेस के प्रेसिडेंट भरत सिंह सोलंकी पहले ही चुनाव ना लड़ने का एलान कर चुके हैं।

मीडिया से बातचीत में कांग्रेस के एक सीनियर लीडर ने गुजरात कांग्रेस में टिकट बंटवारे को लेकर पार्टी नेताओं में नाराजगी की बात मानी। उन्होंने कहा- हमारे लिए हर कार्यकर्ता अहम है। कांग्रेस के लिए कारोबारियों का गढ़ सूरत सबसे खास है और अब यहीं उसे गंभीर दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दिक्कत किसी एक नेता को लेकर होती तो भी ठीक था लेकिन यहां तीन नेताओं ने पार्टी छोड़ दी। सूरत में हालात बेकाबू ना हो जाएं इसलिए, कांग्रेस हाईकमान ने यहां बड़े नेताओं की एक टीम भेजी। इसे फायर फाइटिंग टीम कहा जा रहा है।

इस टीम में चार नेताओं को शामिल किया गया है। ये हैं गुलाम नबी आजाद, मुकुल वासनिक, तरुण गोगोई और बीके. हरिप्रसाद। राज्यसभा सांसद आजाद को अहमदाबाद, असम के पूर्व सीएम गोगोई को उत्तर गुजरात, पूर्व केंद्रीय मंत्री मुकुल वासनिक को सौराष्ट्र और बीके. हरिप्रसाद को दक्षिण गुजरात की जिम्मेदारी दी गई है।

पाटीदारों को खुश करने में लगी कांग्रेस के लिए उसके ही एक मुस्लिम नेता ने भी परेशानी खड़ी कर दी है। गुजरात कांग्रेस के सेक्रेटरी फिरोज मलिक ने कहा- पार्टी हाईकमान ने हमें भरोसा दिलाया था कि मुस्लिमों को भी बराबरी से टिकट दिए जाएंगे। लेकिन, ऐसा नहीं हुआ। धनसुख राजपूत और ज्योति सोजित्रा पहले ही पार्टी छोड़ चुके हैं। ये दोनों कांग्रेस के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। इनके साथ कई कार्यकर्ता भी पार्टी के रवैये से नाराज बताए गए हैं।

सूरत गुजरात के कपड़ा कारोबारियों का गढ़ है। यहां राजपूत और पाटीदार काफी हैं। जीएसटी को लेकर यहां के कारोबारियों में बीजेपी के खिलाफ नाराजगी देखी गई है। कांग्रेस इसे कैश करना चाहती है। लेकिन, अब यहां जिस तरह के हालात कांग्रेस के सामने हैं, उन्हें देखकर वो परेशान है। सूरत कितना अहम है, इस बात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कुछ दिन पहले अमित शाह यहां दो दिन रुके थे और यहां के तमाम कारोबारियों और लोकल लीडर्स से बातचीत की थी। शाह ने उन्हें कारोबारी दिक्कतें दूर करने का भरोसा भी दिलाया था।

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