जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में मुठभेड़, SHO समेत 6 पुलिसकर्मियों की हत्‍या में शामिल बशीर लश्करी ढेर

श्रीनगर: जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ खत्म हो गई है. इसमें लश्कर के दोनों आतंकी ढेर हो गए हैं. एक का नाम बशीर लश्करी है दूसरा आज़ाद अहमद मलिक है. 16 जून को अनंतनाग के अचबल इलाके में 6 पुलिसकर्मी शहीद हुए थे जिनमें एक एसएचओ फिरोज़ डार भी शामिल थे. बशीर लश्करी पर उनकी हत्या का भी आरोप भी लगा था. इसके अलावा शनिवार को हुई मुठभेड़ के दौरान दो स्थानीय लोगों की मौत भी हो गई है जिसमें एक महिला भी शामिल है. खबरों के मुताबिक मुठभेड़ के दौरान स्थानीय लोगों ने सुरक्षाबलों पर पथराव भी किया था. जिस घर में ये आतंकी छिपे थे वहां से 17 लोगों को सुरक्षित बाहर भी निकाला गया है.

पुलिस ने बताया कि जिले के दियालगाम इलाका के ब्रेन्ती बटपोरा गांव में अभियान के दौरान 44 वर्षीय ताहिरा एवं 21 वर्षीय शादाब अहमद चोपन की मौत हो गयी. पुलिस महानिदेशक एस पी वैद्य ने कहा,”मुठभेड़ खत्म हो गयी है. दो आतंकवादियों को मार गिराया गया है.” वैद्य ने कहा कि मारे गये आतंकवादियों की पहचान बशीर लश्करी और आजाद दादा के रूप में हुई है. दोनों एलईटी से संबद्ध थे.

इससे पहले सुरक्षा बलों और गांव में एक घर के अंदर छुपे बैठे आतंकवादियों के बीच हुई गोलीबारी में ताहिरा की मौत हो गयी, जबकि मुठभेड़ स्थल के पास प्रदर्शनकारियों के खिलाफ सुरक्षा बलों की कार्वाई में कथित रूप से चोपन भी मारा गया. पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि चोपन के चेहरे पर गोली लगने के निशान थे और यहां के एसकेआईएमएस अस्पताल में उसे मृत घोषित कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि मुठभेड़ स्थल के पास गोली लगने से घायल हुए चार अन्य लोगों को भी अस्पताल में भर्ती कराया गया.

पुलिस के अनुसार लश्करी और उसका समूह 16 जून को दक्षिण कश्मीर के अचबल इलाका में थाना प्रभारी फिरोज अहमद डार और पांच अन्य पुलिसकर्मियों की हत्या में शामिल था.

पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि अनंतनाग के ब्रेन्ती बटपोरा में लश्करी सहित आतंकवादियों की मौजूदगी की सूचना मिलने के बाद आज तड़के सुरक्षा बलों ने इलाके को घेर कर खोज अभियान शुरू किया. उन्होंने बताया कि खोज अभियान के दौरान आतंकवादियों ने सुरक्षा बलों पर गोलीबारी शुरू कर दी जिसके बाद खोज अभियान मुठभेड़ में तब्दील हो गया. पुलिस के एक प्रवक्ता ने बताया कि आतंकवादियों ने 17 आम लोगों का इस्तेमाल ”मानव ढाल” के तौर पर किया था. बहरहाल, आतंकवादियों के खिलाफ अंतिम हमला शुरू करने से पहले सुरक्षा बल इन नागरिकों को बचाने में सफल रहे.

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