नौ साल बाद जगती यात्रा पर निकले छमांहु नाग, 7 दिन के बाद पहुंचेगे जगतीपट

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बंजार उपमंडल के तहत आने वाली सराज घाटी के लगभग 70 गांव तथा कोठी गोपालपुर के गढ़पती देवता छमांहु नाग 9 बर्षो बाद जगती पट की यात्रा के लिए रवाना हो गए है लगभग 11 दिनों तक चलने वाली इस पद यात्रा में बडाग्रां ,जौरी ,जरवाला,कंडी, सेहुली, पनिहार, मरौड़, थाटिवीड,नरौली,पटौला सहित लगभग 70 गांव के सैकड़ो की संख्या में लोग भाग ले रहे हैं। वहीं इस यात्रा में देवता छंमाहु नाग के सहयोगी देवता करथा नाग,वासुकी नाग,देवता खरिहडु भी देवता के साथ ही चलेंगे ।

चैत्र सक्रांती के तीन दिन बाद देव जलेव तथा दर्जनों वाद्य यत्रों की स्वरलहरियों के साथ  बडाग्रां से शुरू हुई यह एतिहासिक यात्रा शुक्रवार को कुल्लू के मोहोल पंहुची। शनीवार को देवता छमाहु नाग अपने हजारो हारियानों के साथ कुल्लू के रघुनाथ मंदिर में रूकेगें तथा रवीवार को यह यात्रा सेउबाग ,अरछंड़ी,नगर होते हुए ऐतिहासिक जगती पट के लिए रवाना होगी। यहां पंहुच कर जहां जगती पट तथा देवता छमांहू नाग का एतिहासिक मिलन होगा

वहीं यहां देव कचहरी का आयोजन भी किया जाऐगा । बताते चले कि यह मिलन अपने आपमें अद्भूत होता है क्योंकि जहां जगती पट का अपना एक अलग इतिहास है वहीं देवता छमांहू नाग का भी एक अलग इतिहास है। इसलिए माना यह जाता है कि जब भी यह मिलन होता है तो समाज में सुख समृद्वि आती है। आपको बता दे कि आज से 9 वर्ष पुर्व जब पुरा कुल्लू जिला सुखे की चपेट में आ गया था

तो तब सराज घाटी के लोगों ने  देव मिलन की इस अनुठी परम्परा को निभाया था तब देवता के सुवर्ण रथ को पद यात्रा करते हुए सराज घाटी से नगर के जगती पट लाया गया था। जैसे ही देवता ने नगर में प्रवेश किया तो एकाएक आसमान में वादलों की गडगडाहट के साथ सुखी जमीन तर हो गई थी, जिससे किसान वागवानों को भी नई संजीवनी मिली थी। वहीं इस बार समुचे हिमाचल में देव समाज पर अनेक संकट आने की संम्भावना बन रही है जिसकी बजह से पिछले कई बर्षो से देव समाज में एक अजीब सी मायुसी छाई हुई है इसलिए भी इस यात्रा को अहम माना जा रहा है।

इतिहास गवाह रहा है कि जब जब देवभुमि पर संकट के बादल आए है तब तब देव समाज की प्रमुख कला अठारह करडुं के अहम फैसले से ही समाज में बदलाव आया है । देवता के कारदार मोहन सिंह,गुर चेतराम तथा जय सिंह पुजारी महेन्द्र शार्मा तथा सोहन लाल भंडारी तेज राम ,ठाकुर तुलसीराम,धामी कर्म सिंह,पालसरा लुदर चंद,काईथ खुबराम सहित कई देव कामदारों ने यात्रा के विषय पर जानकारी देते हुए बताया कि यह यात्रा अपने आप में एतिहासिक है और इससे देवसमाज पर आने वाले संकट का निर्णय होगा।

उन्होने कहा कि वर्तमान में देव समाज के प्रति लोगों की आस्था कम होती जा रही है वहीं सरकार तथा प्रशासन का भी देवसमाज के प्रति रूखा रवैया होता जा रहा है इससे जहां हमारी देव संस्कृति विलुप्त होने लगी है वहीं देव समाज से जुड़े लोगों को भी हताशा हो रही है । उन्होने कहा कि यहां तक की छमांहु नाग तथा जगती पट का मिलन कई बर्षो बाद होता है किन्तु जब भी होता है समाज कल्याण की भवना से ही होता है ।

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