पाकिस्तान बन रहा चीन का उपनिवेश, मेंडरिन को देश की आधिकारिक भाषा का दर्जा दिया

पाकिस्तान में अभी उर्दू, अरबी, अंग्रेजी, पंजाबी, पश्तो जैसे कई भाषाएं प्रचलित हैं। लेकिन पंजाबी और पश्तो जैसी कई देशज भाषाओं को पाकिस्तान ने अभी तक आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं दिया है।

(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ) : पाकिस्तान पर चीन का दबदबा लगातार बढ़ता जा रहा है। पाकिस्तान में चीन का असर कितना हो गया है, यह इसी बात से समझा जा सकता है कि वहां की सीनेट ने चीन की मेंडरिन भाषा को देश के आधिकारिक भाषा का दर्जा दे दिया है। पाकिस्तान पर चीन का दबदबा इस तरह बढ़ना चिंताजनक है। कई अंतरराष्ट्रीय प्रेक्षक यह कहते रहे हैं कि पाकिस्तान चीन का उपनिवेश जैसा बनता जा रहा है।मंदारिन को पाकिस्तान में आधि‍कारिक भाषा का दर्जा दिया गया है। चीन में मंदारिन और कैंटोनीज जैसी कई भाषाएं प्रचलित हैं, लेकिन सबसे ज्यादा मंदारिन बोली जाती है।पाकिस्तान के सीनेट ने यह कदम ऐसे वक्त में उठाया है, जब पाकिस्तान में चीन का दखल और दबदबा बढ़ता जा रहा है. पाक अधिकृत कश्मीर के इलाके में चीनी सेना की देखरेख में कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है और चीन ने 60 अरब डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक कॉरिडोर को बनाने की घोषणा की है, जो पीओके से गुजरेगा।कई जानकार कहते हैं कि चीन की योजना भविष्य में पाकिस्तान को अपना एक आर्थिक उपनिवेश के तौर पर बनाने की है। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (CPEC) परियोजना के लिए चीन को हजारों एकड़ कृषि भूमि लीज पर दी गई है। जिस पर वह डेमोस्ट्रेशन प्रोजेक्ट्स और फाइबर-ऑप्टिक सिस्टम स्थापित करेगा। CPEC के लिए इन प्रस्तावों से इस बात की पुष्टि होती है कि पाकिस्तान चीन का आर्थिक उपनिवेश बनने की ओर है। CPEC के जरिए चीन का सीक्यांग प्रांत बलूचिस्तान में अरब सागर के तट ग्वादर से जुड़ जाएगा।पाकिस्तानी सीनेट में पारित प्रस्ताव में कहा गया है कि इससे दोनों देशों के बीच रिश्तों में काफी सुधार होगा और आर्थिक कॉरिडोर को देखते हुए परस्पर संवाद के लिए यह जरूरी था। गौरतलब है कि पाकिस्तान में अभी उर्दू, अरबी, अंग्रेजी, पंजाबी, पश्तो जैसे कई भाषाएं प्रचलित हैं। लेकिन पंजाबी और पश्तो जैसी कई देशज भाषाओं को पाकिस्तान ने अभी तक आधिकारिक भाषा का दर्जा नहीं दिया है. अपनी देशज भाषाओं को आधि‍कारिक दर्जा न देकर चीनी भाषा को यह दर्जा देना बहुत कुछ संकेत देता है. पाकिस्तान में मंदारिन सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है। क्योंकि लोगों को लगता है कि इससे पाकिस्तान और चीन में बेहतरीन नौकरी मिल सकती है।

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