एक रुपये के नोट को आज छपे 100 साल पूरे हो गए हैं। 30 नवंबर, 1917 को पहला 1 रुपया का नोट जारी किया गया था और आज इसकी 100वीं वर्षगांठ है। काफी कम लोग ये जानते हैं कि एक रुपया के नोट को मजबूरी में छापा गया था। मजबूरी में छापना पड़ा था नोट पहले विश्वयुद्ध के दौरान औपनिवेशक अधिकारी टकसालों की असमर्थता के कारण 1 रुपया का नोट छापने को मजबूर हो गए थे।
पहले एक रुपया के नोट पर पांचवे किंग जॉर्ज की तस्वीर छपी थी। साल 1926 में इसकी छपाई लागत लाभ के विचारों के चलते बंद कर दी गई थी।
मुंबई के वरिष्ठ कलेक्टर गिरीश वीरा कहते हैं जब पहली बार नोट जारी हुआ था तो इसने चांदी के सिक्के को रिप्लेस कर दिया था, जो राजसी मूल्य के भंडारण का प्रचलित तरीका था।
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान चांदी की कीमतें बढ़ीं, इसलिए उन्होंने सबसे पहले चांदी के सिक्का की तस्वीर के साथ इस नोट को मुद्रित किया। तब से, प्रत्येक एक रुपया के नोट में उस वर्ष के एक रुपया के सिक्का की तस्वीर छपती आई है।
आरबीआई नहीं जारी करता 1 रुपया का नोट
जब एक रुपया के नोट जारी हुआ तो उसपर तीन ब्रिटिश वित्त सचिवों ने साइन किया था। एमएमएस गबी, एच डेनिंग और एसी मैक्वैटर ने पहले नोट पर अपने हस्ताक्षर किए थे। ये बात बहुत कम लोगों को मालूम है कि एक रुपया का नोट आरबीआई जारी नहीं करता।
1 रुपया के नोट जारी करती है सरकार
1 रुपया के नोट को सरकार जारी करती है। वित्त सचिव करता है हस्ताक्षर जहां सभी नोटों पर आरबीआई गवर्नर के हस्ताक्षर होते हैं वहीं एक रुपया के नोट पर वित्त सचिव साइन करते हैं। वित्त सचिव के हस्ताक्षर की परंपरा पहले नोट से ही चली आ रही है। एक रुपया के नोट पर ‘मैं धारक को वचन देता हूं‘ भी इसलिए नहीं छपा होता है।
अशोक स्तंभ वाले नोट की छपाई साल 1940 में फिर शुरू बुई लेकिन फिर 1994 में रोक दी गई। आजादी के बाद साल 1949 में एक रुपया के नोट पर से ब्रिटिश सिंबल को हटा दिया गया था। इसकी जगह रिपब्लिक भारत का सिंबल अशोक स्तंभ बनाया गया था। एक रुपया के नोट के बारे में एक मजेदार बात ये है कि साल 1917 से लेकर 2017 तक इसके डिजाइन में 28 बार बदलाव आ चुका है।