नई दिल्ली: अपनी मारक क्षमता को और बढ़ाने के मद्देनजर भारतीय सेना अपने विश्वसनीय टी-90 मुख्य युद्धक टैंकों को तीसरी पीढ़ी की मिसाइल प्रणाली से लैस कर उन्हें और सक्षम बनाने की परियोजना पर काम कर रही है. सेना के सूत्रों ने बताया कि मौजूदा समय में टी-90 टैंक लेजर निर्देशित आईएनवीएआर मिसाइल प्रणाली से लैस हैं और सेना ने उसके स्थान पर तीसरी पीढ़ी की मिसाइलों को लगाने का फैसला लिया है. परियोजना से संबंधित दस्तावेज के अनुसार, ‘‘मौजूदा आईएनवीएआर मिसाइल का डिजाइन रेंज और लक्ष्य की गहराई (डीओपी) के लिहाज से अधिकतम सीमा तक तैयार किया गया है तो ऐसे में उसे अगली पीढ़ी की मिसाइलों के लिए उन्नत करना अनिवार्य हो जाता है.’’ मिसाइल लक्ष्य पर निशाना साधने में कितनी दूरी तक जा सकती है उसे डीओपी कहते हैं.
रूस निर्मित टी-90 टैंक भारतीय सेना के आक्रामक हथियारों का मुख्य आधार है. सूत्रों ने बताया कि तीसरी पीढ़ी की मिसाइल को 800-850 एमएम की डीओपी हासिल करनी चाहिए और वह दिन के साथ-साथ रात में भी 8 किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होगी. सूत्रों ने बताया कि ये मिसाइलें स्थिर लक्ष्यों के साथ-साथ गतिशील लक्ष्यों को भेदने में भी सक्षम होंगी.
सेना टी-90 टैंकों के लिए मॉड्यूलर इंजन लगाने की परियोजना पर भी काम कर रही है ताकि ऊंचाई पर होने वाली लड़ाई में भी हमला करने की उसकी क्षमताएं बढ़ सकें. क्षेत्र में उभरते सुरक्षा परिदृश्यों पर विचार करते हुए सरकार ने सेना की आक्रमण क्षमता बढ़ाने के लिए पिछले कुछ महीनों में कई कदम उठाए हैं.
गत महीने सरकार ने सेना को यह अधिकार दिया था कि वह छोटी अवधि के लिए होने वाले ‘भीषण युद्ध’ के लिए लड़ने की अपनी तैयारी को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण युद्धक उपकरण सीधे तौर पर खरीद सकती है.