भाजपा गठबंधन की त्रिपुरा-नगालैंड में जीत, मेघालय ने किया निराश
इस बार पूर्वोत्तर के तीनों राज्यों के चुनाव में भाजपा गठबंधन सफल हुआ है लकिन क्या कारण है की मेघालय में भाजपा को निराशा हाथ लगी है।
(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): पूर्वोत्तर में चुनाव के नतीजे लगभग साफ हो चुके हैं। मेघालय में एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। त्रिपुरा और नगालैंड में भाजपा गठबंधन पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है। हालांकि, यहां भी माना जा रहा है कि भाजपा और यूडीपी के साथ मिलकर एनपीपी फिर से सरकार बना लेगी, जैसा कि 2018 में हुआ था। मतलब इस चुनाव में भी भाजपा अपना किला बचाने में कामयाब हो गई है। बड़ी बात ये है कि तीनों ही राज्यों में देश की सबसे पुरानी राष्ट्रीय पार्टी कांग्रेस की स्थिति सबसे ज्यादा खराब हुई है। तीनों ही राज्यों से कांग्रेस का प्रदार्शन निराशाजनक रहा है। वह भी तब जब 2016 तक नॉर्थ ईस्ट के ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस और लेफ्ट का ही कब्जा था, लेकिन इसके बाद से सारे समीकरण तेजी से बदल गए। भाजपा ने एक के बाद एक पूर्वोत्तर के आठ में से छह राज्यों पर कब्जा कर लिया।
भारतीय जनता पार्टी ने IPFT के साथ मिलकर चुनाव लड़ा, जबकि कांग्रेस ने लेफ्ट के साथ गठबंधन कर लिया था। भाजपा ने 60 में से 54 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे, जबकि IPFT के छह प्रत्याशी चुनावी मैदान में थे। लेफ्ट ने त्रिपुरा में सबसे ज्यादा 43 प्रत्याशी उतारे थे। कांग्रेस के केवल 13 उम्मीदवार मैदान में थे। इसके अलावा सीपीआई, आरएसपी, एआईएफबी भी इस गठबंधन का हिस्सा हैं। इन सभी ने एक-एक सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। एक सीट पर गठबंधन ने निर्दलीय उम्मीदवार का समर्थन किया था। भाजपा ने सूबे में अपनी सत्ता बरकरार रखी। भाजपा को 30 सीटों पर जीत मिल चुकी है और दो पर बढ़त बनी हुई है। भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने वाली IPFT ने एक सीट पर जीत हासिल की है।
कांग्रेस और लेफ्ट गठबंधन को बड़ा झटका लगा। कांग्रेस ने तीन सीटों पर जीत हासिल की, जबकि लेफ्ट के खाते में 11 सीटें आईं। मतलब गठबंधन करने के बावजूद दोनों को कुछ खास फायदा नहीं मिला। हालांकि, पहली बार चुनाव लड़ रही टिपरा मोथा ने बड़ी कामयाबी हासिल की। इनके 42 में से 13 प्रत्याशियों ने चुनाव में जीत दर्ज की।
नगालैंड की 59 सीटों पर चुनाव हुए। भारतीय जनता पार्टी और नेशनलिस्ट डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव पार्टी (एनडीपीपी) का गठबंधन हुआ। यहां जुन्हेबोटो की आकुलुटो सीट से भाजपा प्रत्याशी और निर्वतमान विधायक काजहेटो किन्मी निर्विरोध चुनाव जीत चुके हैं। इसके तहत एनडीपीपी ने 40 और भाजपा ने 20 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे थे। इसके अलावा कांग्रेस और एनपीएफ अलग-अलग चुनाव लड़े। कांग्रेस ने 23 और एनपीएफ ने 22 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। 19 निर्दलीय प्रत्याशियों ने भी चुनाव में ताल ठोकी थी। 2018 में यहां विधानसभा के सभी 60 सदस्य सरकार का हिस्सा बन गए थे। मतलब कोई भी विपक्ष में नहीं था।
रोमांचक मुकाबला तो मेघालय में हुआ। जहा 60 में से 59 सीटों पर चुनाव हुए थे। एक सीट पर एक प्रत्याशी की मौत के चलते चुनाव रद्द हो गया। 59 सीटों पर हुए चुनाव के नतीजों ने आज सभी को हैरान कर दिया। किसी भी पार्टी को पूर्ण बहुमत नहीं मिला है। एनपीपी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है। इनके 25 प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। दूसरे नंबर पर यूडीपी रही। इनके 11 उम्मीदवार चुनाव जीत गए। भाजपा के तीन, टीएमसी के पांच, कांग्रेस के पांच, एचएसपीडीपी, पीडीएफ के दो-दो उम्मीदवारों ने जीत हासिल की। दो निर्दलीय विधायक भी चुने गए। वाइस ऑफ द पीपल पार्टी के चार उम्मीदवार चुनाव जीत गए।
गठबंधन के जीतने की क्या रही वजह ?
प्राप्त जानकारी के अनुसार ‘पूर्वोत्तर के अंतर्गत आठ राज्य आते हैं। इनमें त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड, असम, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम और अरुणाचल प्रदेश शामिल हैं। 2014 तक इनमें से ज्यादातर राज्यों में या तो कांग्रेस या फिर लेफ्ट का राज हुआ करता था। इसके बाद कहानी बदलने लगी। एक-एक करके इन आठ में से छह राज्यों में भाजपा ने या तो अकेले दम पर सरकार बनाई या फिर सरकार का हिस्सा बनी।’केंद्र और फिर पूर्वोत्तर राज्यों में सरकार बनाने के बाद भाजपा का सबसे बड़ा फोकस राज्यों की पुरानी लड़ाइयों को खत्म करना था। मेघालय और असम का 50 साल पुराना सीमा विवाद खत्म कराने के प्रयास किए गए। इसी तरह नगालैंड-असम सीमा विवाद को भी निस्तारित करने के लिए सरकार ने कई कदम उठाए। त्रिपुरा, असम और मेघालय में राजनीतिक हिंसाओं को लगभग खत्म कर दिया। त्रिपुरा में बांग्लादेशी घुसपैठ को खत्म कर दिया। इसी तरह नगालैंड में नागा संघर्ष को भी खत्म करने के लिए केंद्र सरकार ने अपने स्तर पर काम किया। चुनाव में जीत का ये भी बड़ा फैक्टर रहा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का चेहरा नॉर्थ ईस्ट के इन चुनावी राज्यों में भी काफी विश्वसनीय हो गया है। प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से जारी सूचना के अनुसार, 2014 में नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनने के बाद से लेकर अब तक नॉर्थ ईस्ट के इन राज्यों में 97 बार दौरा कर चुके हैं। इसके अलावा केंद्र सरकार ने नॉर्थ ईस्ट के लिए मंत्रियों की एक अलग टीम भी बनाई है। ये केंद्रीय मंत्री भी लगातार इन राज्यों का दौरा करते रहे हैं।