नई दिल्ली । 1.5 करोड़ रुपए तक के कारोबारियों के लिए जीएसटी काउंसिल ने तिमाही रिटर्न की सुविधा उपलब्ध करवा दी है। लेकिन अब भी रिटर्न के मामले में कारोबारियों के मन में एक कन्फ्यूजन बरकरार है। ई-मुंशी (emunshe. Com) के टैक्स एक्सपर्ट और चार्टेड अकाउंटेंट अंकित गुप्ता ने हमें इस बारे में जानकारी दी है, जिसे हम विस्तार से बताने जा रहे हैं।
अंकित गुप्ता ने बताया, “मान लीजिए दो कारोबारी हैं जिसमें से एक का टर्नओवर 5 करोड़ सालाना का है और एक दूसरा कारोबारी है जो 10 लाख सालाना का कारोबार करता है। अगर किसी सूरत में बड़ा कारोबारी छोटे कारोबारी से माल खरीदता है तो रिटर्न दाखिल करने के दौरान बड़ा कारोबारी पर्चेज की वैल्यू दिखाएगा और छोटा कारोबारी सेल्स की डिटेल भरेगा। ऐसे में बड़ा कारोबारी अपने पर्चेज की रिटर्न को फरवरी में (जनवरी महीने के लिए) दाखिल करेगा, जबकि छोटा कारोबारी अप्रैल में रिटर्न दाखिल करेगा। ऐसे में बड़ा कारोबारी रिटर्न दाखिल करने के दौरान आईटी (ITC) का क्लेम करने की स्थिति में नहीं होगा। यह एक बड़ा कन्फ्यूजन है।”
अंकित गुप्ता ने यह भी बताया कि अब इस बड़े कारोबारी को इनपुट टैक्स क्रेडिट के लिए अप्रैल तक का इंतजार करना होगा या किसी अन्य तरीके को अपनाना होगा या फिर उसे इसे छोड़ देना होगा इस बारे में अभी तक कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
1 जुलाई को वस्तु एवं सेवा कर लागू होने के बाद GSTR-1, GSTR-2 और GSTR-3 फॉर्म हर महीने भरना होता था, लेकिन अब आपको ये ही तीनों फॉर्म तिमाही आधार पर भरने होंगे। यह एक बड़ी राहत है। हालांकि आपको टैक्स का भुगतान हर महीने करना होगा। ध्यान दें यह सुविधा 1.5 करोड़ तक के कारोबारियों के लिए ही है। आपको बता दें कि ऐसे कारोबारियों के लिए जुलाई-अगस्त और सितंबर इन तीनों महीनों में GSTR-1, GSTR-2, GSTR-3 और GSTR-3B भरना अनिवार्य होगा। वहीं अक्टूबर से शुरू होने वाली तिमाही से उन्हें हर महीने सिर्फ GSTR-3B भरना होगा और तिमाही पर GSTR-1, GSTR-2, GSTR-3 भरने होंगे। वहीं इससे बड़े कारोबारियों को दिसंबर तक चारों रिटर्न भरने होंगे। वहीं जनवरी से GSTR-3B सभी के लिए खत्म हो जाएगा।