Ajit Khan death anniversary: 200 से ज्यादा फिल्मों में काम करके Ajit Khan ने सिने पर्दे पर करीब चार दशक तक अपना जादू दिखाया

न्यूज़लाइवनाउ – उनके अंदाज का आलम यह रहा कि बच्चा-बच्चा उनके डायलॉग्स को रिपीट करता था और आज भी उनके स्टाइल को कॉपी किया जाता है. यकीनन हम बात किसी और की नहीं, बल्कि दिग्गज अभिनेताओं में शुमार रहे अजीत खान की कर रहे हैं, जो 22 अक्टूबर 1998 के दिन इस दुनिया को अलविदा कह गए थे.

उनका अंदाज ऐसा था कि वह भले ही इस दुनिया से कूच कर गए हैं, लेकिन उनके डायलॉग आज भी दुनिया दोहराती है. बात हो रही है अजीत की, जिन्हें सारा शहर लॉयन के नाम से जानता था.

27 जनवरी 1922 के दिन हैदराबाद के गोलकांडा फोर्ट में जन्मे अजीत खान का असली नाम हामिद अली खान था. बचपन से ही उनका रुझान एक्टिंग की दुनिया की तरफ था. ऐसे में उन्होंने अपनी किताबें बेच दीं और घर से भागकर मुंबई पहुंच गए. शुरुआती दौर तो अजीत के लिए बेहतर नहीं रहा, लेकिन एक वक्त ऐसा भी आया, जब बच्चे-बच्चे की जुबां पर मोना डार्लिंग और सारा शहर मुझे लॉयन के नाम से जानता है…जैसे डायलॉग आ गए.

डर के मारे लोग उन्हें खाना-पीना मुफ्त में देने लगे

आपको यह जानकर हैरानी होगी कि रील लाइफ में विलेन बनकर हर किसी की रूह कंपाने में माहिर अजीत खान ने रियल लाइफ में भी जमकर गुंडागर्दी की थी. हुआ यूं था कि जब वह मुंबई पहुंचे, तब उनके पास कोई काम-काज नहीं था. साथ ही, रहने के लिए भी कोई ठिकाना नहीं था. ऐसे में वह नालों के रखे पाइप में रहकर वक्त बिताते थे. उन दिनों लोकल एरिया के गुंडे पाइप में रहने वालों से वसूली करते थे. जो पैसा नहीं देता था, उसे पीटकर भगा दिया जाता था.

एक दिन वे गुंडे अजीत के पास पहुंचे तो उन्होंने उन गुंडों को बुरी तरह पीट दिया. इसके बाद इलाके में अजीत की गुंडई चलने लगी और डर के मारे लोग उन्हें खाना-पीना मुफ्त में देने लगे.

1946 के दौरान वह कई फिल्मों में हीरो बने

अजीत ने बचपन से ही हीरो बनने का सपना देखा था. साल 1946 के दौरान वह कई फिल्मों में हीरो बने, लेकिन हर फिल्म बुरी तरह फ्लॉप रही. वह सबसे पहले फिल्म शाह-ए-मिस्र में हीरो बने थे, लेकिन यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर पानी भी नहीं मांग पाई. ऐसे में उनके करीबी दोस्त बॉलीवुड स्टार राजेंद्र कुमार ने उन्हें लीडिंग विलेन के किरदार निभाने की सलाह दी.

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यह सलाह अजीत के काम आई और सिनेमा की दुनिया में उनका सिक्का इस कदर जमा कि सारा शहर उन्हें लॉयन के नाम से जानने लगा. 22 अक्टूबर 1998 के दिन अजीत इस दुनिया को अलविदा कह गए. उन्होंने हैदराबाद में अंतिम सांस ली थी.

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