22 साल से गुजरात की सत्ता से बाहर चल रही कांग्रेस की वापसी की उम्मीद जताई जा रही है. पाटीदार आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल के बाद गुजरात ओबीसी एकता मंच के अल्पेश ठाकोर ने कांग्रेस को समर्थन दिया है. अल्पेश के कांग्रेस से जुड़ने के बाद कहा जा रहा है कि उनका जन समर्थन बीजेपी पर भारी पड़ सकता है.
मालूम हो कि अल्पेश ठाकोर की पिछड़ा वर्ग में जबर्दस्त अपील है. उन्होंने राज्य में नशे से छुटकारा दिलाने के लिये सक्रियता से काम किया है. राजनीतिक जानकारों की मानें तो अल्पेश बीजेपी के लिए इसीलिए सिरदर्द बन सकते हैं क्योंकि उन्हें ओबीसी, एससी और एसटी का बड़ा समर्थन है. यही वजह ही कि अल्पेश को लेकर इन समुदाय में ऐसा क्रेज है कि रैलियों में उनको सुनने के लिए लोग पेड़ पर तक चढ़ बैठ जाते हैं.
दरअसल, 39 साल के अल्पेश को इन जातियों का समर्थन उनकी नशा के खिलाफ छेड़ी गई मुहिम से ही मिला है. कहा जाता है कि अल्पेश कांग्रेस के साथ आने के पहले बीजेपी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल चुके थे. पिछले साल एक रैली में उन्होंने यह ऐलान कर दिया था कि अगला मुख्यमंत्री बीजेपी से नहीं बल्कि हमारा होगा.
अल्पेश की राजनीतिक पृष्टभूमि के बारे में बात की जाए तो उनके पिता खोड़ा ठाकोर कांग्रेस से हैं. इसके पहले वे शंकर सिंह वाघेला के साथ बीजेपी से जुड़े थे, लेकिन बाद में वाघेला के कांग्रेस छोड़ने के बावजूद ठाकोर कांग्रेस में बने रहे.
मूलतः अहमदाबाद के एंडला गांव के रहने वाले अल्पेश समाज सेवा के अलावा खेती और रियल एस्टेट का व्यवसाय करते हैं, उनका गांव हार्दिक पटेल के चंदन नगरी से कुछ ही किलोमीटर दूर है.
पांच साल पहले अल्पेश तब सुर्ख़ियों में आए थे जब उन्होंने गुजरात क्षत्रिय-ठाकोर सेना का गठन किया था. यह संगठन नशा मुक्ति के लिए गुजरात में काम करता है. आज भी इस संगठन में 6.5 लाख लोग रजिस्टर्ड है.
हाल ही में अल्पेश ने एकता मंच की स्थापना की. जिसके अंतर्गत ओबीसी, एससी, एसटी समुदाय के लोगों को उन्होंने अपने साथ जोड़ा. मालूम हो कि गुजरात में 22 से 24 प्रतिशत ठाकोर समुदाय के लोग हैं. जो विधानसभा चुनाव में बड़ा बदलाव ला सकते हैं.