(न्यूज़लाइवनाउ-Mumbai) 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुए सिलसिलेवार धमाकों के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट ने बड़ा निर्णय सुनाते हुए 12 आरोपियों को दोषमुक्त घोषित कर दिया।सोमवार को बॉम्बे हाईकोर्ट की विशेष खंडपीठ ने इन सभी की पूर्व में हुई दोषसिद्धि को खारिज कर दिया।
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष आरोपी व्यक्तियों के खिलाफ पुख्ता और ठोस प्रमाण पेश करने में असफल रहा है। इस फैसले ने उस भयावह हमले की याद दिला दी, जिसमें पश्चिमी रेलवे लाइन पर हुए धमाकों में 180 से ज्यादा लोग मारे गए थे और सैकड़ों घायल हुए थे।
आरोपियों के जुर्म में शामिल होने पर संदेह बना हुआ है
न्यायमूर्ति अनिल किलोर और न्यायमूर्ति श्याम चांडक की खंडपीठ ने स्पष्ट किया कि अभियोजन की ओर से प्रस्तुत सामग्री आरोपियों को दोषी सिद्ध करने के लिए अपर्याप्त है। उन्होंने कहा, “इस बात पर यकीन करना कठिन है कि इन आरोपियों ने यह अपराध किया है। लिहाजा, इनकी दोषसिद्धि रद्द की जाती है।”
कोर्ट ने कहा कि पांच को दी गई फांसी और अन्य सात की उम्रकैद की सजा को अब अमान्य माना जाता है। यदि ये लोग किसी अन्य कानूनी मामले में आरोपी नहीं हैं, तो उन्हें तुरंत जेल से रिहा किया जाए।
2015 में सुनाई गई थी सजा
इस मामले में 2015 में टाडा की विशेष अदालत ने 12 व्यक्तियों को दोषी ठहराया था। पांच को मौत की सजा और बाकी को आजीवन कारावास दिया गया था। सोमवार को जब हाईकोर्ट ने उन्हें दोषमुक्त घोषित किया, तब सभी दोषियों को राज्य की विभिन्न जेलों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए अदालत से जोड़ा गया, जहां उन्होंने अपने अधिवक्ताओं का आभार जताया।
11 जुलाई 2006 को मुंबई की पश्चिमी रेल लाइन पर सात जगहों पर लोकल ट्रेनों में विस्फोट हुए थे। इस त्रासदी में 180 से अधिक नागरिकों की मृत्यु हुई थी, जबकि सैकड़ों घायल हो गए थे।
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