न्यूज़लाइवनाउ – नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा होगी। महाअष्टमी तिथि का विशेष महत्व होता है. इस दिन कन्या पूजन भी होती है। मां महागौरी की पूजा करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और अखंड सुहाग के साथ सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भोलेनाथ को पाने के लिए मां गौरी ने सालों तक कड़ी तपस्या की थी। इस घोर तप में मां गौरी धुल-मिट्टी से ढंक गयी थीं। इसके बाद शिव जी ने स्वयं अपनी जटाओं से बहती गंगा से मां के इस रूप को साफ किया था। माता के रूप की इस कांति को शिवजी ने पुनर्स्थापित किया इसी कारण उनका नाम महागौरी पड़ा।
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, सोलह साल की उम्र में देवी शैलपुत्री अत्यंत सुंदर थीं। अपने अत्यधिक गौर रंग के कारण देवी महागौरी की तुलना शंख, चंद्रमा और कुंद के सफेद फूल से की जाती है। अपने इन गौर आभा के कारण उन्हें देवी महागौरी के नाम से जाना जाता है। माँ महागौरी केवल सफेद वस्त्र धारण करतीं है उसी के कारण उन्हें श्वेताम्बरधरा के नाम से भी जाना जाता है।
मां महागौरी पूजा विधि-
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें। मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं। इसके बाद मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है। मां को स्नान कराने के बाद सफेद पुष्प अर्पित करें। रोली-कुमकुम लगाएं। इसके बाद नारियल और काले चने का भोग लगाएं। आरती भी करें और फिर कन्या पूजन कर, पारण करें।
नवरात्रि के महाअष्टमी के दिन आपको महागौरी के इस मंत्र का जाप जरूर करें। मंत्र इस प्रकार है- ‘सर्वमङ्गल माङ्गल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके। शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते ।।’ इस मंत्र का 21 बार जाप करें, इससे आपको कई गुना लाभ मिलेगा।
मां महागौरी के मंत्र (Maa Mahagauri Mantra)
श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:
ललाटं कर्णो हुं बीजं पातु महागौरी मां नेत्रं घ्राणो। कपोत चिबुको फट् पातु स्वाहा मा सर्ववदनो॥
या देवी सर्वभूतेषु मां गौरी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।
श्वेते वृषे समरूढा श्वेताम्बराधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोददा।।
अष्टमी के दिन क्यों होती है महागौरी की पूजा
पुराणों के अनुसार माता दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिन तक युद्ध कर उसे हराया था। इसलिए नवरात्रि के नौ दिनों तक उनकी पूजा की जाती है। माना जाता है कि अष्टमी के दिन ही माता ने चंड-मुंड राक्षसों का संहार किया था। इसलिए इस दिन की पूजा का खास महत्त्व माना जाता है। अष्टमी के दिन को कुल देवी और माता अन्नपूर्णा का दिन भी माना जाता है। इसी कारण से माना जाता है कि इस दिन देवी की पूजा करने से आपके कुल में चली आ रही मुसीबतें और परेशानियां कम होती हैं और आने वाले कुल की रक्षा होती है। अष्टमी के दिन कन्याओं को भोजन कराने से घर में धन-धान्य और सौभाग्य बना रहता है।
और खबरों के लिए हमें फॉलो करें Facebook पर।
Comments are closed.