पर्यटन स्थल नहीं बनेगा सम्मेद शिखर,जैन समुदाय के आंदोलन के आगे झुकी सरकार

सरकार ने गुरुवार को हफ्तों से जारी जैन समुदाय के विरोध प्रदर्शन के बीच केंद्र ने बड़ा कदम उठाया है। पारसनाथ पहाड़ी पर जैन धार्मिक स्थल सम्मेद शिखरजी को लेकर केंद्र ने झारखंड सरकार को इसकी पवित्रता की रक्षा के लिए तुरंत सभी आवश्यक कदम उठाने का निर्देश दिया है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ इस मुद्दे मुलाकात की थी। जिसके बाद यह आदेश आया है।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): सम्मेद शिखर के मुद्दे पर जारी विरोध-प्रदर्शन के बीच केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लिया है। केंद्र ने सम्मेद शिखर को पर्यटन स्थल बनाने के फैसले पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने जैन समुदाय के प्रतिनिधियों को आश्वासन दिया था कि सरकार सम्मेद शिखरजी पर्वत क्षेत्र की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है जो देश के लिए एक पवित्र स्थान है। झारखंड के गिरिडीह जिले में पारसनाथ पहाड़ी पर स्थित सम्मेद शिखरजी जैन समुदाय का सबसे बड़ा तीर्थस्थल है। दरअसल पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को पिछले कई दिनों में पारसनाथ वन्यजीव अभयारण्य में होने वाले पर्यटन के मुद्दे पर जैन समाज के कई संगठनों आवदेन मिल रहे थे। इन आवेदनों में कहा जा रहा था कि सम्मेद शिखर में पर्यटन गतिविधियों के कारण जैन धर्म के अनुयायियों की भावनाओं पर बुरा प्रभाव पड़ रहा हैं।

जैन मुनि ने विरोध में दी अपनी जान

जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने जयपुर के सांगानेर में अपने प्राण त्याग दिए थे। वे झारखंड सरकार के फैसले के खिलाफ पिछले 10 दिन से आमरण अनशन कर रहे थे। सुज्ञेयसागर 72 साल के थे। इसके बाद जैन समाज का आक्रोश और भी ज्यादा बढ़ गया था। बढ़ते विरोध के बाद मंत्रालय ने झारखंड सरकार के वन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को एक ज्ञापन जारी किया। जिसमें कहा गया है कि “उक्त पर्यावरण-संवेदनशील क्षेत्र अधिसूचना के खंड 3 के प्रावधानों का कार्यान्वयन तत्काल रोक दिया जाता है” जिसके बाद इस क्षेत्र में पर्यटन से ताल्लुक रखने वाली अब कोई भी गतिविधि नहीं होगी।

जैन समुदाय ने केंद्र को धन्यवाद कहा

विभिन्न जैन संगठन के प्रतिनिधियों ने इस फैसले के बाद केंद्र को धन्यवाद देने के लिए एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की, जिसमें कहा गया कि इस फैसले के बाद उनके सबसे पवित्र तीर्थ स्थल की पवित्रता बनी रहेगी। हमारी चिंताओं को दूर कर दिया गया है।

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