उत्तर प्रदेश के सभी जिलों में रामायण और दु्र्गा सप्तशती के होंगे पाठ, अखिलेश ने योगी सरकार के फैसले पर उठाए सवाल
नवरात्र के मौके पर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सभी जिलों में रामायण और दु्र्गा सप्तशती पाठ के आयोजन का ऐलान किया है। इसे लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है।
(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): नवरात्री के मौके पर उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने सभी जिलों में रामायण और दु्र्गा सप्तशती पाठ के आयोजन का ऐलान किया है। इसे लेकर अब सियासत भी शुरू हो गई है। नेता विपक्ष और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने ट्वीट करके योगी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने योगी सरकार के फैसले पर सवाल उठाते हुए तंज कैसा कि जिलों को 10 करोड़ रुपये मिलने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहार मनाए जा सकें। योगी सरकार को त्योहारों पर फ्री सिलेंडर देना चाहिए और इसकी शुरूआत रामनवमी से करनी चाहिए। अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, ‘रामनवमी मनाने के लिए उप्र के ज़िलाधिकारियों को 1 लाख रुपये दिये जाने के प्रस्ताव का स्वागत है पर इतनी कम रक़म से होगा क्या, कम से कम 10 करोड़ देने चाहिए जिससे सभी धर्मों के त्योहारों को मनाया जा सके। भाजपा सरकार त्योहारों पर फ़्री सिलेंडर दे और इसकी शुरूआत इसी रामनवमी से हो।’
उत्तर प्रदेश सरकार ने नौ दिवसीय चैत्र नवरात्रि और रामनवमी त्योहारों के दौरान समूचे राज्य में मंदिरों में दुर्गा सप्तशती और अखंड रामायण के पाठ सहित विशेष धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने को कहा है। चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरू हो रही है और रामनवमी 30 मार्च को मनाई जाएगी। संस्कृति विभाग की ओर से जारी एक आदेश में कहा गया है कि चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है। इस दौरान नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने के लिए देवी दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा की जाती है। इसलिए इस दौरान धार्मिक और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन का प्रस्ताव है। आदेश में कहा गया है कि जनप्रतिनिधियों को आमंत्रित किया जाना चाहिए और बड़ी जन भागीदारी सुनिश्चित की जानी चाहिए। आदेश के अनुसार, संस्कृति विभाग इन कार्यक्रमों में प्रदर्शन के लिए चुने गए कलाकारों को मानदेय के रूप में भुगतान करने के लिए प्रत्येक जिले को एक लाख रुपये उपलब्ध कराएगा। आदेश के मुताबिक सरकार ने स्थानीय प्रशासन से इन कार्यक्रमों की तस्वीरें संस्कृति विभाग की वेबसाइट पर अपलोड करने को भी कहा है। आदेश में कहा गया है कि 21 मार्च तक सभी तैयारियां कर ली जाएं और जीपीएस लोकेशन, मंदिरों के फोटो और मंदिर प्रबंधन निकायों के संपर्क विवरण संस्कृति विभाग के साथ साझा किए जाएं।
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