रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने बुधवार को अपनी सालाना रिपोर्ट में खुलासा किया कि 8 नवंबर को नोटबंदी के ऐलान के बाद बैंकों के पास 1000 रुपये की 8 करोड़ 90 लाख प्रतिबंधित नोट वापस नहीं आए. रिपोर्ट के मुताबिक नोटबंदी के बाद नोट की प्रिंटिंग की लागत में बड़ा इजाफा हुआ है.
जहां वित्त वर्ष 2016 में रिजर्व बैंक को करेंसी छापने के लिए 3,421 करोड़ रुपये खर्च किए थे वहीं नोटबंदी के बाद वित्त वर्ष 2017 में यह खर्च बढ़कर 7,965 करोड़ रुपये हो गया.
वित्त वर्ष 2016-17 के लिए जारी रिपोर्ट में इस वक्त 2000₹ के 3285 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं. 2000 रुपए की कुल वैल्यू 6571 बिलियन रुपए है. इस वक्त देश में 500 के 5882 मिलियन नोट सर्कुलेशन में हैं, जिनकी वैल्यू 2941 बिलियन है.
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को देश में नोटबंदी का ऐलान करते हुए सर्वाधिक प्रचलित 500 और 1000 रुपये की करेंसी को प्रतिबंधित कर दिया था. इसके बाद केन्द्रीय बैंक ने पहले 2000 रुपये की नई करेंसी का संचार शुरू किया और कुछ दिनों बाद नई सीरीज की 500 रुपये की करेंसी का संचार शुरु किया.
हालांकि नोटंबदी के बाद लगातार केन्द्रीय रिजर्व बैंक पर पूरी प्रक्रिया के दौरान देश के अलग-अलग बैंकों में जमा हुए प्रतिबंधित करेंसी का आंकड़ा पेश करने का दबाव पड़ रहा था. लेकिन इन आंकड़ों के जारी करने के लिए रिजर्व बैंक की दलील थी कि नोटों की गिनती की प्रक्रिया पूरी नहीं की जा सकी है.
आंकड़ों के मुताबिक मार्च 2017 तक 8,925 करोड़ के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. RBI के मुताबिक, ‘सर्कुलेशन वाले नोट’ वे हैं जो रिजर्व बैंक से बाहर हैं. इस तरह, यह आंकड़ा पिछले साल 8 नवंबर से शुरू होने वाले नोटबंदी के बाद बैंकों में 1,000 के जमा किए गए सभी नोटों का प्रतिनिधित्व करता है.
वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार के 3 फरवरी को लोकसभा में दिए गए बयान के मुताबिक 8 नवंबर तक 6.86 करोड़ रुपये से ज्यादा के 1000 के नोट सर्कुलेशन में थे. मार्च 2017 तक सर्कुलेशन वाले 1000 के नोट कुल नोटों का 1.3 फीसदी थे. इसका मतलब 98.7 फीसदी नोट RBI में लौट आए थे . इसका मतलब 98.7 फीसदी 1000 के नोट ही आरबीआई में वापस आए हैं.