(न्यूज़लाइवनाउ-Delhi): नया संसद भवन मंगलवार को कामकाज के लिए खुल गया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराने परिसर से नए भवन तक सांसदों के मार्च का नेतृत्व किया। इस प्रक्रिया में संसद सदस्यों को संविधान की नई प्रतियां सौंपी गईं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी (Adhir Ranjan Chaudhary) ने केंद्र सरकार द्वारा सभी सांसदों को संविधान की प्रति से धर्मनिरपेक्ष और समाजवादी जैसे शब्दों के गायब होने का मामला उठाया थे। उन्होंने कहा कि संसद भवन के उद्धाटन के पहले दिन सांसदों को संविधान की जो प्रति दी गई है उसमे से ये दो शब्द हटा दिए गए हैं।
अधीर रंजन के दावे पर सरकार की प्रतिक्रिया भी आ गई है। बीजेपी नेता और केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा है कि ‘जब संविधान बना था तो ऐसा ही था। उसके बाद 42वां संशोधन हुआ और ये मूल संविधान की प्रतियां हैं, जो सभी सांसदों को वितरित की गई हैं। ’ केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल ने अधीर रंजन के दावे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, ‘जब संविधान का मसौदा तैयार किया गया था, तो यह ऐसा ही था। बाद में एक संशोधन किया गया था। यह मूल प्रति है। हमारे प्रवक्ता ने इसका जवाब दिया है।’
आपको बतादें की, 1976 में पारित संविधान के 42वें संशोधन ने प्रस्तावना में भारत के विवरण को ‘संप्रभु लोकतांत्रिक गणराज्य’ से ‘संप्रभु समाजवादी धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य’ शब्दों में बदल दिया। 20 पृष्ठ लंबे इस विस्तृत दस्तावेज ने संसद को अभूतपूर्व शक्तियां प्रदान कीं. इस संशोधन के साथ प्रस्तावना सहित संविधान के लगभग सभी हिस्सों को बदल दिया गया. इसने ‘राष्ट्र की एकता’ को ‘राष्ट्र की एकता और अखंडता’ शब्द में भी बदल दिया।
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