एनआरसी पर ममता के रुख से नाराज तृणमूल के असम प्रदेश अध्यक्ष सहित तीन नेताओं ने छोड़ा पद।
द्विपन पाठक के अलावा असम में तृणमूल कांग्रेस के दो और नेता दिगंत सैकिया और प्रदीप पचोनी ने भी पार्टी छोड़ दी है। इन नेताओं का कहना है कि ममता को एनआरसी का वास्तविक सच पता ही नहीं है।
(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) ड्राफ्ट के मुद्दे पर भाजपा से दो-दो हाथ कर रहीं बंगाल की मुख्यमंत्री व तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी के खिलाफ उन्हीं की पार्टी के नेताओं ने ‘गृहयुद्ध’ छेड़ दिया है। असम में तृणमूल कांग्रेस के अध्यक्ष द्विपन पाठक समेत तीन नेताओं ने इस्तीफा दे दिया है। अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद द्विपन ने कहा कि ममता एनआरसी ड्राफ्ट को लेकर भ्रम फैलाकर असम के लोगों को गुमराह कर रही हैं। उन्होंने असम के लोगों के हित के बारे में कभी सोचा ही नहीं। उन्होंने इस्तीफा देने के बाद मीडिया से बातचीत में कहा कि ममता ने एनआरसी ड्राफ्ट को बंगालियों को असम से भगाने की कोशिश करार दिया है। मैं इससे सहमत नहीं हूं, क्योंकि ऐसी कोई बात नहीं है। एनआरसी ड्राफ्ट में असम के कई मूल निवासियों का भी नाम नहीं है। सात अगस्त से फॉर्म जारी किए जाएंगे। 30 अगस्त से लोग अपील कर सकते हैं। इससे पहले इतना शोर करने की जरूरत नहीं थी। इस वजह से असम का माहौल खराब हो सकता है। तृणमूल पार्टी का असम अध्यक्ष होने के नाते इसका पूरा आरोप मेरे ऊपर आएगा, इसलिए मैंने अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। असम के पक्ष में मैं हमेशा बोलता रहूंगा। द्विपन पाठक के अलावा असम में तृणमूल कांग्रेस के दो और नेता दिगंत सैकिया और प्रदीप पचोनी ने भी पार्टी छोड़ दी है। इन नेताओं का कहना है कि ममता को एनआरसी का वास्तविक सच पता ही नहीं है। वह बिना किसी जानकारी के आलोचना कर रही हैं। दिगंत सैकिया ने कहा कि ममता जो कह रही हैं, उसमें और असम की जमीनी सच्चाई में काफी अंतर है। 30 जुलाई को असम में एनआरसी ड्राफ्ट जारी किया गया, जिसमें दो करोड़ 89 लाख 83 हजार 677 लोगों को वैध नागरिक माना गया, जबकि करीब 40 लाख लोग अवैध पाए गए हैं। एनआरसी ड्राफ्ट जारी होने के बाद से ममता लगातार भाजपा पर हमले कर रही हैं। गौरतलब है कि ममता बनर्जी पहले ही कह चुकी हैं कि हम ऐसा नहीं होने देंगे। भाजपा लोगों को बांटने की कोशिश कर रही है। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इससे देश में गृहयुद्ध की स्थिति बन जाएगी, खून-खराबा होगा। एनआरसी के बहाने भाजपा असम में वोट बैंक की राजनीति खेल रही है।