मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था सुधारने के दावे और अपराधियों को सुधर जाने की चेतावनी जुबानी जमाखर्ची साबित हो रही है. सहारनपुर हिंसा, मथुरा में लूट और मर्डर के बाद अब फिरोजाबाद में दिनदहाड़े शीशा व्यवसायी का अपहरण हो गया है.
हथियारबंद बदमाशों ने यूपी के बड़े शीशा व्यवसायी में से एक और गृहमंत्री राजनाथ सिंह के करीबी दोस्त संजय मित्तल का बंदूक की नोंक पर शुक्रवार को फिरोजाबाद से अपहरण कर लिया.
मथुरा में दो ज्वैलर्स के साथ दिनदहाड़े लूट और मर्डर के बाद बड़े शीशा व्यवसायी के अपहरण की इस घटना ने यूपी की कानून व्यवस्था को बेनकाब कर दिया है. हालत ये हो गई है कि यूपी की योगी सरकार और पुलिस को कानून व्यवस्थाके मुद्दे पर विपक्ष के सवालों का जवाब देते नहीं बन रहा है.
फैक्ट्री जा रहे थे संजय मित्तल
एफएम ग्लास इंडस्ट्री के मालिक संजय मित्तल फिरोजाबाद में नंगला भाऊ इंडस्ट्रियल इलाके में अपनी फैक्ट्री जा रहे थे. इस दौरान मित्तल की इनोवा को पुलिस की ड्रेस में दो मोटरसाइकिल सवारों ने रुकवाया और बंदूक के दम पर संजय को उनकी कार में ही बंधक बना अगवा कर ले गए.
सीनियर एसपी अजय कुमार ने कहा कि घटना के वक्त 42 वर्षीय संजय मित्तल अपनी फैक्ट्री जा रहे थे.
उन्होंने कहा कि बिजनेसमैन को छुड़ाने और अपहरणकर्ताओं को पकड़ने के लिए कार्रवाई की जा रही है. बता दें कि यह घटना मथुरा कांड के सिर्फ दो दिन ही हुई है, जहां डकैती की एक घटना में दो ज्वैलर्स की हत्या कर दी गई.
बीस साल पहले पिता का हुआ था अपहरण
बता दें कि बीस साल पहले संजय मित्तल के पिता एसपी मित्तल का भी अपहरण हुआ था और तब उनको छुड़ाने के लिए परिवार को एक करोड़ की फिरौती देनी पड़ी थी.
कानून व्यवस्था को लेकर ज्वैलर्स नाराज
ज्वैलर्स समुदाय में घटना को लेकर भारी रोष है और व्यावसायिक समुदाय ने घटना को लेकर बड़े स्तर पर अपना विरोध जताया है.
बंद रहीं 7000 से ज्यादा दुकानें
मथुरा कांड के विरोध में लगभग 7000 से ज्यादा ज्वैलर्स ने शुक्रवार को अपनी दुकानें बंद रखीं. घटना के बाद योगी सरकार ने चार पुलिस वालों को निलंबित कर दिया.
कानून व्यवस्था पर बोले योगी
दूसरी ओर शुक्रवार को ही यूपी विधानसभा में बोलते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हम तय कर चुके हैं कि प्रदेश में अपराध की जगह नहीं होगी, न ही अपराधियों के संरक्षण की. अगर किसी ने गरीब, व्यापारी या किसी का उत्पीड़न किया, तो उसे अपने भविष्य के बारे में सोचना होगा. हालांकि योगी आदित्यनाथ के कानून व्यवस्था सुधारने के दावे सिर्फ जमा खर्ची साबित हो रहे हैं.