– न्यूज एजेंसी के मुताबिक जस्टिस राजीव शर्मा और आलोक सिंह की डिवीजन बेंच ने शुक्रवार को कोर्ट के पूर्व के फैसले का दायरा बढ़ाते हुए गंगोत्री और यमुनोत्री ग्लेशियर्स पर खास जोर दिया।
– हाईकोर्ट ने कहा, “इन सभी को वही राइट्स, ड्यूटीज, लायबिलिटीज, फंडामेंटल और लीगल राइट्स हासिल होंगे, जो जीवित इंसान को मिलते हैं, जिससे इनको प्रीजर्व और कंजर्व (preserve and conserve) किया जा सके।” ऑर्डर में यह भी कहा गया है कि इनको पहुंचाए गए नुकसान को किसी इंसान को पहुंचाए गए नुकसान की तरह ही माना जाएगा।
– उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 20 मार्च को कहा था, “गंगा नदी देश की पहली जीवित नदी (living entity) है और इसे वे सारे हक मिलने चाहिए जो किसी इंसान को मिलते हैं।”
– हाईकोर्ट ने नदी किनारे पत्थरों को तोड़े जाने के खिलाफ दायर एक केस की सुनवाई करते हुए गंगा नदी को living entity यानी जीवित इकाई (यहां इसका मतलब गंगा नदी है) करार दिया था।
– हाईकोर्ट के इस फैसले के मायने ये हुए कि अगर कोई गंगा को पॉल्यूटेड करता है तो उस पर उसी हिसाब से कार्रवाई की जाएगी, जो किसी इंसान को नुकसान पहुंचाने पर की जाती है। किसी नदी को ऐसा दर्जा दिए जाने का दुनिया में यह दूसरा मामला है। इससे पहले न्यूजीलैंड की एक नदी को वहां की संसद ने ऐसा दर्जा दिया था।