नवरात्र : ब्रह्म मुहूर्त के अलावा सुबह 6.10 से 10.11 बजे तक है घट स्थापना का शुभ मुहूर्त

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार को अगर नवरात्रि शुरू होते हैं तो मां नाव में सवार होकर आती हैं

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) :  शारदीय नवरात्र कल से शुरू हो रहे हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार को अगर नवरात्रि शुरू होते हैं तो मां नाव में सवार होकर आती हैं। मान्यता है कि नाव पर सवार होकर माता आती हैं तो मनुष्य की हर मनोकामना पूरी होती है। नवरात्रि में कलश स्थापना का विशेष महत्व है। ज्योतिर्विद एवं अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. राजेश मिश्रा के अनुसार यूं तो ब्रह्म मुहूर्त में कलश स्थापना सबसे शुभ है। अगर इस अवधि में कलश स्थापित न कर सकें तो सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 10 बजकर 11 मिनट तक कलश की स्थापना भक्तगण कर सकते हैं।
नवरात्र में हर एक दिन दुर्गा मां के अलग-अलग रूप मां शैलपुत्री, मां ब्रह्मचारिणी, मां चंद्रघंटा, मां कूष्मांडा, मां स्कंदमाता, मां कात्यायनी, मां कालरात्रि, मां महागौरी, मां सिद्धदात्री की पूजा होती है। नवदुर्गा के आगमन के दिन से भी भविष्य में होने वाली घटना व संकेतों का अंदाजा लगाया जा सकता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार नवदुर्गा बुधवार से शुरू हो रहे हैं, जो यह दर्शाता है की मां नाव पर बैठकर आएंगी। इसी प्रकार यदि नवरात्रि सोमवार या रविवार से शुरू हो तो उसका अलग संकेत है। यहां बता दें कि- नवरात्रि पूजन का आरंभ घट स्थापना से माना जाता है।

– ईशान कोण यानी उत्तर-पूर्व की दिशा को देवी-देवताओं की दिशा मानी जाती है। इसलिए कलश स्थापना और माता की प्रतिमा इसी दिशा में होनी चाहिए।
– कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त को ध्यान में रखकर ही करना चाहिए और माता की पूजा से पहले भगवान गणेश का पूजन करना चाहिए।
– नवरात्रि में एक जटाधारी नारियल को लाल कपड़े में बांधकर कलश में रखने से पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए।

 सुबह: 06 बजकर 18 मिनट 40 सेकंड से 10 बजकर 11 मिनट 37 सेकंड तक रहेगा। हालांकि कलश स्थापना का सबसे शुभ मुहूर्त- ब्रह्म मुहूर्त से सुबह 7.56 मिनट तक रहेगा। कुल 3 घंटे 52 मिनट घट स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त है। 

 

 

 

 

 

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