नस्लवाद और हिन्दफोबिअ की जकड में ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी , हिन्दू होने पे रश्मि सामंत से माँगा जा रहा है इस्तीफा

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में नस्लवाद का मुद्दा सोमवार (मार्च 15 2021) को संसद में उठा। इसके कारण हाल ही में भारतीय छात्रा रश्मि सामंत ने ऑक्सफोर्ड स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया था।राज्यसभा में बोलते हुए विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा, “महात्‍मा गाँधी की जमीन से होने के नाते, हम कभी नस्‍लवाद से आँखें नहीं चुरा सकते। खासतौर से तब जब यह किसी ऐसे देश में हो जहाँ हमारे लोग इतनी ज्‍यादा संख्‍या में रहते हैं। हमारे यूके के साथ मजबूत रिश्‍ते हैं। जरूरत पड़ने पर हम पूरी स्‍पष्‍टता से ऐसे मुद्दे उठाएँगे।”उन्होंने विश्वास दिलाया कि सरकार ऐसे मामलों की बारीकी से निगरानी करेगी और आवश्यक होने पर संबंधित अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को उठाएगी। उन्होंने कहा, “हम हमेशा नस्लवाद और असहिष्णुता के अन्य रूपों के खिलाफ लड़ाई को लड़ेंगे।” गौरतलब है कि वामपंथी और हिंदू विरोधी प्रोपगेंडाबाजों ने रश्मि सामंत के ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी स्टूडेंट यूनियन की अध्यक्ष पद पर जीत के बाद उन्हें घेरना शुरू किया था। तरह-तरह के इल्जाम लगा कर उन्हें इस्तीफा देने को मजबूर किया गया था। उनके ख़िलाफ़ इस्लामोफोबिक, ट्रांसफोबिक होने के इल्जाम लगाए गए थे। साथ ही उन्हें हिंदू होने के लिए भी निशाना बनाया गया था।ऑक्सफोर्ड के फैकल्टी सदस्य डॉ. अभिजीत सरकार ने तो रश्मि के अकाउंट पर भगवान श्रीराम की डीपी देख ये तक कहा कि हो सकता है कि स्टूडेंट काउंसिल इलेक्शन पीएम मोदी द्वारा फंड किए गए हों। उन्होंने ये भी कहा कि वह तटीय कर्नाटक से आती हैं, जो इस्लामोफोबिक ताकतों का गढ़ रहा है।इस्तीफा देने के बाद रश्मि कर्नाटक के उडुपी जिले में अपने घर लौट आईं। उन्होंने कहा था, “यह सच कि मैं हिंदू हूँ। यह मुझे ऑक्सफोर्ड एसयू का अध्यक्ष बनने के लिए असहिष्णु या अनफिट नहीं बनाता है। इसके विपरीत, मैं वास्तविक अर्थों में विविधता के मूल्य को समझती हूँ, हालाँकि विकसित दुनिया की पेचीदगियों के लिए मेरा संपर्क सीमित है।”इंडिया अहेड न्यूज के साथ एक साक्षात्कार में उनके द्वारा सोशल मीडिया पोस्ट 5 साल पहले किए गए थे, जब वह किशोरी थी और मुद्दों के बारे में अपनी प्रतिबद्धता नहीं बनाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि उनके द्वारा दिए गए कैप्शन दूसरों को चोट पहुँचाने के इरादे से नहीं दिए गए थे।ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के एक फैकल्टी सदस्य द्वारा विवाद में घसीटे जाने के बारे में पूछे जाने पर सामंत ने कहा था कि हिंदू होना और ‘जय श्रीराम’ कहना अपराध नहीं है और वह इस बात से हैरान थी कि पद से इस्तीफा देने के लिए उन पर दबाव बनाने के लिए उनके माता-पिता की धार्मिक भावनाओं और अभिव्यक्तियों का खुले तौर पर अपमान किया गया।

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