रेपो रेट नहीं घटने से जानें आम जनता को फायदा होगा या नुकसान?

। देश की जीडीपी वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई, जो पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम रही है।

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : रेपो रेट के मामले में इस बार RBI ने निराश किया था। लगातार 5 बार रीपो रेट रेट में कटौती के बाद अब आरबीआई ने इसपर ब्रेक लगा दिया है। देश की जीडीपी वृद्धि दर मौजूदा वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में घटकर 4.5 प्रतिशत रह गई, जो पिछली 26 तिमाहियों में सबसे कम रही है। इससे इस बार भी नीतिगत दरों में कटौती की उम्मीद की जा रही थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। रीपो रेट को बरकरार रखने का आम निवेशकों और आपकी जेब पर क्या असर पड़ेगा,यह फायदे की बात है या नुकसान की, आइए जानते हैं। रीपो रेट को बरकरार रखना एफडी में निवेश करने वालों के लिए राहत की खबर है। पिछले कई महीनों से बैंक एफडी पर मिलने वाले ब्याज की दर घटा रहे हैं, जिससे इसमें पैसा लगाने वालों का रिटर्न कम होता जा रहा था। उदाहरण से समझिए। SBI की एक साल वाली अवधि वाली एफडी के लए नवंबर 2019 तक 6.25% ब्याज मिल रहा था और सीनियर सिटिजंस के लिए यह 6.75% था। यह दर अगस्त के महीने में क्रमशः 6.8 पर्सेंट और 7.3 पर्सेंट थी। यानी महज तीन महीनों में रिटर्न में 50bps (आधा पर्सेंट) की कटौती। एफडी पर ब्याज में कटौती से सबसे ज्यादा नुकसान सीनियर सिटीजिंस को होता है, क्योंकि इसमें सबसे ज्यादा निवेश वरिष्ठ नागरिक करते हैं। एफडी पर घटते रिटर्न के चलते वित्तीय सलाहकार वरिष्ठ नागरिकों को पोस्ट ऑफिस टर्म डिपॉजिट और सीनियर सिटिजंस सेविंग स्कीम में पैसा लगाने की सलाह दे रहे थे।
सरकार ने स्मॉल सेविंग्स स्कीम्स पर ब्याज को अक्टूबर से दिसंबर के लिए स्थिर रखा है। फिलहाल इन पर एफडी के मुकाबले थोड़ा ज्यादा रिटर्न मिलता है। टर्म डिपॉजिट पर 6.9 से 7.7 पर्सेंट का बरिटर्न मिलता है। हालांकि, याद रखने की बात है कि दिसंबर में ही इनका रिव्यू होना है। MCLR लिंक्ड लोनः ऐसे लोन के केस में आपके लोन पर तब असर पड़ेगा जब रीसेट डेट करीब होगी। आमतौर पर बैंक 6 महीने से एक साल की रीसेट डेट के साथ MCLR-लिंक्ड लोन ऑफर करते हैं। अगर आपका लोन MCLR-लिंक्ड है तो आप एक्टर्नल बेंचमार्क लिंक्ड् लोन पर भी स्विच कर सकते हैं। आपको इसके लिए कुछ फीस देनी होगी। बहरहाल, अगर आप ऐसा सोच रहे हैं तो पहले बैंक का स्पेरड, रिस्क प्रीमियम चेक करें और अन्य बैंकों से तुलना करना न भूलें। वित्तीय सलाहकार कहते हैं कि किसी शख्स को तभी स्विच करना चाहिए जब दोनों में 0.50% या उससे ज्यादा का अंतर हो। BPLR या बेस रेट लिंक्ड लोन ः जिन कर्जधारकों के पास बेंचमार्क प्राइम लेंडंग रेट(BPLR)आधारिक लोन है, उन्हें एक्टर्नल बेंचमार्क लिंकिंग पर स्विच करना चाहिए। इंडस्ट्री एक्सपर्ट्स की मानें तो इसमें ज्यादा पारदर्शिता है और इसमें बेहतर ट्रांसमिशन होता है। नए लोन ग्राहकों को बाहरी बेंचनमार्क से लिंक्ड लोन ही मिलेगा। आज RBI ने रीपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया है, लेकिन भविष्य में अगर कोई रेट कटौती होती है तो आपकी EMI घट जाएगी।

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