(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : अपने शहीद पिता की चिता को मुखाग्नि देते हुए आठ साल की बेटी ने जो कहा, उसे सुन सभी लोगों की आंखे नम हो गई। दुख की इस घड़ी में बेटी का जज्बा है कि वो भी भारतीय सेना में भर्ती हो जाए।09 फरवरी की रात उत्तरी सिक्किम में चीन सीमा पर तैनात नायक बूटा सिंह बर्फ का तोंदा गिरने से शहीद हो गए थे। उनका पार्थिव शरीर 12 फरवरी को निकाला गया था। गुरुवार को शहीद सैनिक का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव बुर्ज हरी सिंह पहुंचा जहां पूरे राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया। शहीद की आठ वर्षीय बेटी ने चिता को मुखाग्नि दी।
सात राइफलों से फायर कर शहीद नायक बूटा सिंह को सैनिक सम्मान दिया गया। इस मौके पर कर्नल वेदिश महाजन, कर्नल जेएस सिद्धू, एसडीएम डॉ. हिमांशु गुप्ता, डीएसपी गुरमीत सिंह सहित आसपास के गांवों से लोग शहीद को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। शहीद बूटा सिंह के परिवार में उनकी गर्भवती पत्नी हरप्रीत कौर, बेटी जसमीत कौर, पिता गुलजारा सिंह, मां जसमेल कौर, दादी करतार कौर, भाई बेअंत सिंह और बहन कुलवंत कौर हैं।कर्नल वेदिश महाजन ने बताया कि नायक बूटा सिंह चीन सीमा पर एक विशेष अभियान के तहत चौकसी कर रहे थे। यह एरिया 20 हजार फुट की ऊंचाई पर है और वहां पर तापमान माइनस 40 डिग्री रहता है। नौ फरवरी की रात को बूटा सिंह और उनके एक अन्य साथी ड्यूटी पर तैनात थे, तभी अचानक बर्फ का तोंदा उन पर गिर गया। इस घटना में नायक बूटा सिंह शहीद हो गए, जबकि उनके साथी को बचा लिया गया। कर्नल महाजन के अनुसार बूटा सिंह को जंगी शहीद का दर्जा दिया गया है। उनके परिवार को सरकार की तरफ से हर संभव सहायता दी जाएगी।
मेरे पापा कुछ दिन के लिए भगवान के पास जा रहे है, जब वह लौटकर आएंगे तब मैं बड़ी होकर भारतीय सेना में भर्ती होकर सेवा कर रही होऊंगी। शहीद नायक बूटा सिंह की आठ वर्षीय बेटी जसमीत कौर अपने पिता को मुखाग्नि देते समय यही बात बार बार दोहरा रही थी। उसकी यह बात सुनकर गुरुवार गांव बुर्जहरी सिंह के शमशान घाट में खड़े हर व्यक्ति की आंखें नम थी।शहीद की पत्नी हरप्रीत कौर सेना के अधिकारियों से लगातार पति के आखिरी पलों के बारे में सवाल कर रहीं, लेकिन किसी के पास उसके सवाल का जवाब नहीं था। बूटा सिंह फुटबाल के अच्छे खिलाड़ी थे। साल 2000 में वह सेना में भर्ती हो गए थे। बूटा सिंह के पार्थिव शरीर को गांव लेकर पहुंचे नायब सूबेदार सुखविंदर सिंह ने बताया कि पार्थिव शरीर को निकालने में पहुंच मुश्किल आई। पार्थिव शरीर को लाने के लिए सभी रास्ते बंद हो चुके थे। एक हेलीपेड तैयार कर हेलीकॉप्टर से किसी तरह पार्थिव शरीर को बागडोगरा पहुंचा गया।