(एनएलएन मीडिया-न्यूज़ लाइव नाऊ) : काँग्रेस अध्यक्ष राहुल गाँधी लव और हेट की बाइनरी गढ़ रहे हैं और अभी ऐसा लग रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इसकी ख़बर तक नहीं है. वो राजनीति की महीन बुनावट वाले इस जाल की ओर ऐसे बढ़ रहे हैं जैसे नींद में चल रहे हों.
लोकसभा में प्रधानमंत्री को गले लगाकर राहुल गाँधी ने जताने की कोशिश की कि वो प्रेम और सहिष्णुता की राजनीति में यक़ीन करते हैं जबकि मोदी नफ़रत और बाँटने की राजनीति करते हैं.
उन्होंने ठीक प्रधानमंत्री के सामने खड़े होकर कहा – आपके भीतर मेरे लिए नफ़रत है, ग़ुस्सा है, आपके लिए मैं पप्पू हूँ. आप मुझे अलग-अलग गाली दे सकते हो, मगर मेरे अंदर आपके प्रति इतना सा भी ग़ुस्सा, इतना सा भी क्रोध, इतनी सी भी नफ़रत नहीं है.
इसके बाद राहुल गाँधी चाहेंगे कि नरेंद्र मोदी उनके सभी इलज़ामों को सही साबित करें. यानी वो अब चाहेंगे कि मोदी उनकी खिल्ली उड़ाएँ, उन्हें युवराज और नामदार जैसे नामों से पुकारें ताकि ये साबित हो जाए कि मोदी वाक़ई नफ़रत की राजनीति करते हैं. अगले लोकसभा चुनावों तक राहुल गाँधी हर बार मोदी से कड़े सवाल करेंगे लेकिन उनके प्रति कोई कड़ा शब्द इस्तेमाल नहीं करेंगे. बार बार कहेंगे कि मैं मोदी के भीतर दबी मानवता को अपने प्रेम की ताक़त से बाहर लाऊँगा.
मोदी जिस राजनीतिक मिट्टी के बने हैं उससे उन्हें प्रेम और घृणा की ये बाइनरी तुरंत दिखनी चाहिए थी और अंदाज़ा हो जाना चाहिए था कि ख़ुद को प्रेम का प्रतीक बनाकर राहुल उन्हें घृणा के आसन पर बैठाए दे रहे हैं.
पर अगर मोदी को ये दिख जाता तो वो राहुल के गले लगने को “गले पड़ना” नहीं कहते. शनिवार को शाहजहाँपुर की रैली में उन्होंने अपने हमलावर तेवर बरक़रार रखते हुए कहा कि राहुल गाँधी जब सवालों का जवाब नहीं दे पाए तो “गले पड़ गए”. लेकिन एक अंतर था. मोदी ने ये कहते हुए न तो राहुल गाँधी का नाम लिया और न ही युवराज अथवा नामदार कहकर तंज़ कसा.