सऊदी वाणिज्यिक दूतावास ख़ाशोज्जी की हुई मौत

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : सरकारी टीवी ने शुरुआती जांच के हवाले से बताया है कि ख़ाशोज्जी की तुर्की के इंस्तांबुल स्थित सऊदी वाणिज्यिक दूतावास में एक संघर्ष के बाद मौत हो गई.सऊदी अरब के सरकारी टीवी के मुताबिक़ इस मामले में डिप्टी इंटेलिजेंस चीफ़ अहमद अल असीरी और क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के वरिष्ठ सहयोगी साउद अल क़थानी को बर्खास्त कर दिया गया है.सरकारी टीवी ने जानकारी दी है कि इस मामले में जारी जांच के दौरान सऊदी अरब के 18 नागरिकों को हिरासत में लिया गया है.ये पहला मौक़ा है जब सऊदी अरब की सरकार ने माना है कि पत्रकार जमाल ख़ाशोज्जी दूतावास में मारे गए हैं.ख़ाशोज्जी को सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान का आलोचक माना जाता था. ख़ाशोज्जी बीते एक साल से अमरीका में रह रहे थे.वो अमरीकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट के लिए कॉलम लिखते थे. ख़ाशोज्जी को आख़िरी बार दो अक्टूबर को इंस्तांबुल में देखा गया था. वो अपनी मंगेतर से शादी के लिए ज़रूरी काग़जात पूरे करने के लिए सऊदी अरब के वाणिज्यिक दूतावास गए थे.रिपोर्टों के मुताबिक सऊदी अरब के शाह सलमान ने ख़ुफिया सेवा के पुनर्गठन के लिए क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान की अगुवाई में मंत्रियों की समिति गठित करने का आदेश दिया है.सऊदी अरब के शाह सलमान ने फ़ोन पर तुर्की के राष्ट्रपति रचेप तैय्यप अर्दोआन से बात की और उसके कुछ देर बाद ही सरकारी मीडिया में रिपोर्टें आ गईं.तुर्की के राष्ट्रपति से जुड़े सूत्रों ने जानकारी दी है कि सऊदी अरब के शाह और तुर्की के राष्ट्रपति ने आपसी जानकारियों को साझा किया और जांच में सहयोग जारी रखने पर सहमति जाहिर की.तुर्की पुलिस ख़ाशोज्जी के शव की तलाश में जुटी हुई है. अधिकारियों ने नाम न ज़ाहिर करने की शर्त पर आशंका ज़ाहिर की है कि हो सकता कि ख़ाशोज्जी के शव को पास के जंगलों में ठिकाने लगा दिया गया हो.तुर्की का आरोप है कि ख़ाशोज्जी की सऊदी के अधिकारियों के एक दस्ते ने हत्या कर दी.जमाल का जन्म 1958 के दौरान मदीना में हुआ था. उन्होंने अमरीका के इंडिआना स्टेट विश्वविद्यालय से अपनी बिज़नेस एडमिनिस्ट्रेशन की पढ़ाई पूरी की.पढ़ाई के बाद वो सऊदी अरब लौट आए और 1980 में एक पत्रकार के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की. वो एक क्षेत्रीय अख़बार में रिपोर्टर के तौर पर काम करते थे, जहां वो अफ़ग़ानिस्तान पर सोवियत आक्रमण की ख़बरों को कवर करते थे.इस दौरान उन्होंने चरमपंथी संगठन अल-क़ायदा के नेता ओसामा-बिन-लादेन के उदय को नज़दीक से देखा. 1980 और 1990 के दशक में उन्होंने कई दफ़ा ओसामा का इंटरव्यू लिया.इसके बाद उन्होंने क्षेत्र में कई बड़ी घटनाओं को कवर किया, जिसमें कुवैत का पहला खाड़ी युद्ध भी शामिल रहा.इसके बाद 1990 में वो सऊदी अरब लौट आए और 1999 में अरब न्यूज़ नाम के अंग्रेज़ी अखबार के उपसंपादक बन गए.2003 में वो अल वतन अख़बार के संपादक बन गए, लेकिन सिर्फ़ दो महीने में ही उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया, क्योंकि वो सऊदी के शाही परिवार की आलोचना वाली ख़बरें छाप रहे थे.नौकरी से निकाले जाने के बाद वो लंदन और फिर वॉशिंगटन चले गए. यहां वो राजदूत प्रिंस तुर्की बिन-फैसल के मीडिया सलाहकार के तौर पर काम करने लगे. फैसल सऊदी अरब के पूर्व इंटेलिजेंस प्रमुख थे.इसके बाद 2007 में वो अल वतन लौट गए, लेकिन विवाद और बढ़ने की वजह से तीन साल बाद ही उन्हें दोबारा देश छोड़ना पड़ा.2011 का अरब स्प्रिंग आने के बाद इस्लामिक समूहों ने कई देशों की सत्ता अपने हाथ में ले ली थी. जमाल ने इन इस्लामिक समूहों को अपना समर्थन दिया.2012 में वो सऊदी के समर्थन वाले अल अरब न्यूज़ चैनल के प्रमुख बना दिए गए. इस चैनल को क़तर से फंड किए जाने वाले अल-जज़ीरा का प्रतिद्वंद्वी माना जाता था.बहरीन स्थित इस चैनल में पहले ही दिन स्पीकर के तौर पर बहरीन के एक प्रमुख विपक्षी नेता को बुलाया गया. जिसकी वजह से लॉन्च के सिर्फ़ 24 घंटे बाद ही इस चैनल को बंद कर दिया गया.सऊदी मामलों पर प्रमुखता से बोलने वाले जमाल ख़ाशोज्जी कई अंतरराष्ट्रीय न्यूज़ संस्थानों के लिए भी लगातार लिखते थे.पत्रकार जमाल 2017 में सऊदी अरब छोड़कर अमरीका चले गए थे.यहां सितम्बर में उन्होंने वॉशिंगटन पोस्ट अख़बार के लिए लिखना शुरू किया. अपने पहले ही लेख में उन्होंने कहा कि मुझे और कई दूसरे लोगों को गिरफ़्तारी के डर से देश छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा.उन्होंने दावा किया है कि क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान से असहमति जताने वालों पर कार्रवाइयां हुईं और दर्जनों लोगों को हिरासत में लिया गया. हालांकि क्राउन प्रिंस देश में आर्थिक और समाजिक सुधार लाने की कोशिशें करने का दावा करते रहे हैं.उन्होंने आरोप लगाया कि सऊदी की सरकार ने अरब के दैनिक अख़बार अल-हयात पर उनका कॉलम रोकने का दबाव बनाया. जमाल ने ये भी कहा कि 2016 में अमरीका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप को लेकर उनके एक ट्वीट के बाद उन्हें ट्विटर बंद करने के लिए कहा गया. उन्होंने बताया कि ट्विटर पर उन्हें 1.8 मिलियन लोग फॉलो करते हैं.उन्होंने लिखा, “मैंने अपना घर, परिवार, नौकरी सब छोड़ दिया और आवाज़ उठाई. मैं उस वक़्त बोल रहा हूं जब वहां कोई नहीं बोलता था. मैं आपको बताना चाहता हूं कि सऊदी अरब हमेशा से ऐसा नहीं था. सऊदी इससे बेहतर ज़िंदगी के लायक है.”अपनो लेख में उन्होंने आरोप लगाया कि सऊदी की सरकार ने असली चरमपंथियों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की. उन्होंने रूस के नेता व्लादिमीर पुतिन से क्राउन प्रिंस की तुलना भी कर डाली.उनका आखिरी लेख 11 सिंतबर को प्रकाशित हुआ था. उनके लापता होने के बाद अख़बार ने शुक्रवार को उनके कॉलम की जगह खाली छोड़ दी.उनकी मंगेतर हदीजे जेनगीज़ ने दो अक्टूबर को याद करते हुए कहा कि वो दूतावास के बाहर खड़ी घंटों जमाल के वापस आने का इंतज़ार करती रहीं, लेकिन वो बाहर नहीं आए.अपने आख़िरी लेख में उन्होंने यमन के संघर्ष में सऊदी के हस्तक्षेप की आलोचना की थी.

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