इसलिए जरूरी है कैंसर इंश्योरेंस लेना

(एनएलएन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ) : कैंसर हो जाए तो इससे लंबे समय तक लड़ना पड़ता है। यह बहुत महंगी लड़ाई होती है। कैंसर सिर्फ आपके परिवार के संसाधनों को ही खत्म नहीं करता है बल्कि यह आपके काम करने और रेग्युलर इनकम कमाने की क्षमता को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है। यहां एक स्पेशलाइज्ड कैंसर इंश्योरेंस प्लान आपका बचाव कर सकता है। यह सिर्फ आपकी जिंदगी ही नहीं बचा सकता है, बल्कि इलाज के बाद एक स्थिर जिंदगी जीने में भी मदद कर सकता है।जिन लोगों के परिवार में कभी किसी को कैंसर हुआ है, उन लोगों को कैंसर होने की संभावना दूसरों के मुकाबले अधिक रहती है। लेकिन इस रोग के होने की संभावना का पता लगाने के लिए सिर्फ यही एक कारण काफी नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति को एक स्पेशलाइज्ड कैंसर इंश्योरेंस पॉलिसी लेने पर विचार करना चाहिए। इसका कारण यह है कि अभी कैंसर होनी की आशंका कम होने के बावजूद, यदि बुरा वक्त आया और यह बीमारी हो गई तब आपको पता चलेगा कि जिंदगी बचाने वाली इस सुविधा के लिए हर महीने दिया जाने वाला प्रीमियम कितना कम है। अधिकांश कैंसर इंश्योरेंस पॉलिसी इस बीमारी के अलग-अलग चरण में अलग-अलग होती है, जिसके तहत इंश्योरेंस अमाउंट के एक हिस्से का पेमेंट किया जाता है। उदाहरण के लिए, यदि आपने 20 लाख रु. का कवरेज लिया है और आपको इस बीमारी के शुरूआती स्टेज के लिए इंश्योरेंस अमाउंट का 25% पेमेंट मिलने वाला है, तो आपको 20 लाख रु. में से 5 लाख रु. मिलेगा जिसका इस्तेमाल आप अपने इलाज के लिए कर सकते हैं। कुछ प्लान में लेट-स्टेज डायग्नोसिस पर या इस बीमारी के दोबारा होने पर इंश्योरेंस अमाउंट का 100% या यहां तक कि 150% तक पेमेंट मिलता है। अधिकांश पॉलिसीज कैंसर के इलाज से जुड़े सारे खर्च उठाएंगी, जिनमें अस्पताल, कीमोथेरपी और रेडिएशन थेरपी का खर्च शामिल है। कुछ प्लान दूसरी राय प्राप्त करने का खर्च भी उठा सकते हैं। लगभग सभी पॉलिसियां रोग की पहचान होने पर प्रीमियम माफ कर देती हैं, खास परिस्थितियों में इमर्जेंसी हेल्प करती हैं, और लेट-स्टेज डायग्नोसिस के मामले में कुछ निर्धारित सालों तक एक मंथली इनकम पेमेंट करती हैं। कुछ पॉलिसियां पहले से मौजूद बीमारियों के कारण होने वाले कैंसर या कुछ खास तरह के कैंसर को कवर नहीं करती हैं, जैसे, सेक्सुअल मीडियम से फैलने वाली बीमारियों या नॉन-थेरेपेटिक रेडिएशन एक्सपोजर के कारण होने वाला कैंसर। कई पॉलिसियां उन लोगों को कवर नहीं करती हैं जिन्हें पहले कैंसर हुआ था। यहां इस बात पर ध्यान देना जरूरी है कि कई पॉलिसियों में कवरेज पाने के लिए या क्लेम को प्रोसेस करने से पहले 6 महीने तक इंतजार करना और रोग की पहचान होने के बाद 7 दिन तक जिन्दा रहना जरूरी है। कुछ प्लान, कैंसर से जुड़ी बीमारियों को कवर नहीं करते हैं जिन्हें खास तौर पर पॉलिसी में कवर नहीं किया गया है। इसलिए, सही प्लान चुनने से पहले अच्छी तरह खोजबीन करना जरूरी है। क्रिटिकल ईलनेस प्लान सहित अधिकांश हेल्थ इंश्योरेंस प्लान एक स्पेशलाइज्ड कैंसर इंश्योरेंस प्लान की तरह खास तौर पर कैंसर का कवरेज नहीं देते हैं। बहुत कम क्रिटिकल ईलनेस प्लान, अर्ली स्टेज कैंसर या उन बीमारियों से जुड़े खर्चों को कवर करते हैं जो कैंसर के इलाज के कारण पैदा होती हैं। ये बहुत कठोर पॉलिसी कवरेज के बाहर होती हैं।
इस जानकारी की मदद से अपने फाइनैंशल प्लानिंग की शुरुआत करें और अपने आपको और अपने परिवार को फाइनैंशल परेशानियों से बचाने के लिए स्पेशलाइज्ड कैंसर इंश्योरेंस लेने का विचार करें।

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