न्यूज़लाइवनाउ – लोकसभा की आचार समिति ने टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ लगाए गए ‘कैश-फॉर-क्वेरी’ आरोपों के संबंध में अपनी मसौदा रिपोर्ट पर विचार करने और उसे अपनाने के लिए 7 नवंबर को बैठक बुलाई है. महुआ पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने गंभीर आरोप लगाए हैं.
महुआ मोइत्रा के खिलाफ ‘कैश-फॉर-क्वैरी’ के आरोपों की जांच कर रही लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने 7 नवंबर को बैठक बुलाई है. सूत्रों के अनुसार , मसौदा रिपोर्ट को अपनाने के लिए हुई बैठक का मतलब है कि बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने अपनी जांच पूरी कर ली है और अब वह अपनी सिफारिश करेगी क्योंकि इसके सदस्य 2 नवंबर को अपनी आखिरी बैठक में पार्टी लाइनों में विभाजित हो गए थे.
15 सदस्यीय आचार समिति में बीजेपी के सदस्यों का बहुमत है
इस बीच देखा जाए तो 15 सदस्यीय आचार समिति में बीजेपी के सदस्यों का बहुमत है. ऐसे में समिति मोइत्रा के मामले पर गंभीर रुख अपना सकती है. खासकर तब जब उन्होंने समिति की मीटिंग में चेयरमैन सोनकर पर कई गंभीर आरोप लगाए थे और उन पर अमर्यादित और व्यक्तिगत सवाल पूछे जाने के आरोप लगाये थे. इस तरह के आरोपों से समिति चेयरमैन ने इनकार भी किया था.
गत 2 नवंबर की मीटिंग को लेकर समिति में विपक्ष के सदस्यों बीएसपी सांसद दानिश अली, जेडीयू सांसद गिरधारी यादव और कांग्रेसी सांसद एन उत्तम कुमार रेड्डी ने अध्यक्ष की ओर से टीएमसी सांसद महुआ से पूछे गए सवालों को अनैतिक, मर्यादित और व्यक्तिगत बताया था. इससे नाराज होकर विपक्षी सांसदों ने मीटिंग का बहिष्कार कर वॉकआउट कर दिया था.
कमेटी के अध्यक्ष का क्या कहना है?
महुआ मोइत्रा के आरोप और विपक्षी सांसदों के वॉकआउट के बाद समिति अध्यक्ष विनोद सोनकर ने सफाई देते हुए कहा था कि जवाब देने के बजाए टीएमसी सांसद ने गुस्सा करते हुए असंसदीय भाषा का इस्तेमाल किया. झारखंड के गोड्डा लोकसभा क्षेत्र से बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने हाल ही में आरोप लगाया था कि टीएमसी सांसद मोइत्रा ने कारोबारी दर्शन हीरानंदानी से संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे लिए हैं. इसके मद्देनजर मोइत्रा ने अडानी ग्रुप के मामले में सवाल करके पीएम मोदी की छवि खराब करने की कोशिश की.
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