मेरठ के गोरक्षक आसिफ हत्याकांड, हमलावरों ने पहले की बातचीत, फिर धमकी और ताबड़तोड़ फायरिंग से किया छलनी
जमानत पर जेल से आए आसिफ को इल्म भी नहीं था कि दो बाइकें घर से निकलते ही उसका पीछे लग गईं। दोनों बाइकों पर सवार चार बदमाश एकाएक सामने आए तो वह सकपका गया। चारों ने बातचीत, फिर धमकी देते हुए पिस्टल निकाली तो आसिफ ने आसपास के लोगों से मदद की गुहार की, लेकिन तब तक उस पर गोलियां की बौछार शुरू हो गई थी। लहुलुहान आसिफ को जमीन पर गिरा देख लोग जान बचाते रहे। बेखौफ हमलावर पिस्टल से हवा में गोलियां दागते हुए फरार हो गए।
(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): उत्तर प्रदेश के मेरठ में खुद को गोरक्षक कहने का दावा करने वाले आसिफ की हत्या कर दी गई। आसिफ का खौफ लिसाडी क्षेत्र में चलता था। वह खुले तौर पर अपने आपको भाजपा का नेता बताता था। गोरक्षा दल के पदाधिकारी के रूप में अपनी पहचान बताता था। उसके बड़े भाई दिलशाद की भी हत्या गोरक्षा के मामले में हुई थी। अब आसिफ की भी मौत हो गई। यूपी में गोहत्या पर बैन लगाया गया है। ऐसे में पहले दिलशाद और बाद में आसिफ पर गोहत्या के मामलों में पुलिस को मुखबिरी करने का भी आरोप लगता रहा है। इस हत्याकांड ने अब सवाल खड़ा कर दिया है। भीड़-भाड़ वाले इलाके में गोलियों से आसिफ को छलनी कर दिया गया। इस दौरान वह लोगों के सामने बचाने की गुहार लगाता रहा। कोई सामने नहीं आया। वहां से करीब 200 मीटर की दूरी पर पुलिस स्टेशन है। ऐसे में बेखौफ अपराधियों ने जमानत पर छूटकर बाहर आए आसिफ की गोली मारकर हत्या कर दी। इसने पुलिस प्रशासन की स्थिति और कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किए हैं।
प्राप्त जानकारी के अनुसार, जमानत पर जेल से आए आसिफ को इल्म भी नहीं था कि दो बाइकें घर से निकलते ही उसका पीछे लग गईं। दोनों बाइकों पर सवार चार बदमाश एकाएक सामने आए तो वह सकपका गया। चारों ने बातचीत, फिर धमकी देते हुए पिस्टल निकाली तो आसिफ ने आसपास के लोगों से मदद की गुहार की, लेकिन तब तक उस पर गोलियां की बौछार शुरू हो गई थी। लहुलुहान आसिफ को जमीन पर गिरा देख लोग जान बचाते रहे। बेखौफ हमलावर पिस्टल से हवा में गोलियां दागते हुए फरार हो गए।
खुद को भाजपा नेता व गोरक्षा दल का पदाधिकारी बताने वाले आसिफ का रूतबा व खौफ लिसाडी गेट क्षेत्र में चलता था। 13 नवंबर को आसिफ के घर के सामने दिव्यांग शावेज की पीट-पीटकर हत्या कर दी गई थी। हत्या के आरोप में आसिफ व उसका भाई इमरान जेल गए। इमरान अभी जेल में है। शाहजेब उर्फ गुट्टू से मारपीट के मामले में भी इमरान का नाम आया था। आसिफ का भाई दिलशाद भारती भी दबंग था। छह साल पहले उसकी हत्या हो गई थी।
सत्तासीनों व पुलिस से करीबी के चलते हर कोई आसिफ भारती व उसके परिवार से खौफ खाता था। यही वजह थी कि नीचा सद्दीकनगर में हुई शावेज की हत्या की रिपोर्ट लिखाने वाले उसके भाई आबिद ने आसिफ व इमरान पर जेल से धमकी देने का आरोप लगाते हुए दो माह पहले थाना लिसाड़ी गेट पर तहरीर दी थी। जिस अंदाज में आसिफ को आठ पिस्टल से दर्जनों गोलियां मारी गई उससे साफ है कि हमलावर उसे किसी भी सूरत में जिंदा नहीं छोड़ना चाहते थे। प्रत्यक्षदर्शियों की मानें तो आसिफ की मौत का पूरा भरोसा होने के बाद ही हमलावर लिसाडी गेट की ओर भागे। आसिफ के शरीर पर एक दर्जन से ज्यादा गोलियां के निशान थे। जान बचाने को दुकानों में छिपे लोग पुलिस आने पर बाहर आए। सहमे लोग दुकाने बंद कर चले गए।
भाजपा महानगर अध्यक्ष मुकेश सिंघल ने कहा कि आसिफ न तो पार्टी पदाधिकारी है न ही नेता। वह पार्टी का समर्थक है। उस पर पार्टी में कोई जिम्मेदारी नहीं है। पार्टी के चिह्न के साथ उसका फेसबुक एकाउंट व सोशल साइट पर पोस्ट पर उन्होंने कहा कि समर्थक अपने स्तर से ऐसी पोस्ट जारी करता है, जिससे पार्टी का कोई लेना-देना नहीं है।
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