न्यूज़लाइवनाउ – 8 मार्च 2024 को महाशिवरात्रि है. इस दिन शिव पूजा और जलाभिषेक के लिए शुभ मुहूर्त, विधि, शिवलिंग पूजा के नियम, मंत्र आदि सारी जानकारी यहां जानें
आई गई शिव की प्रिय रात. 8 मार्च 2024 शिव पूजा का सबसे बड़ा पर्व महाशिवरात्रि मनाया जाएगा. शिव पुराण के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन शिव जी पहली बार शिवलिंग रूप में प्रकट हुए थे. इस दिन माता पार्वती और शंकर जी के विवाह की भी मान्यता है.
भोलेनाथ ने इसी दिन वैराग्य छोड़कर गृहस्थ जीवन में कदम रखा था और देवी पार्वती से शादी रचाई थी. महाशिवरात्रि पर शिवलिंग का जलाभिषेक करने से व्यक्ति के समस्त संकट दूर हो जाते हैं और उसकी मनोकामनाएं जल्द पूरी होती है. आइए जानते हैं महाशिवरात्रि पर पूजा, जलाभिषेक का शुभ मुहूर्त, व्रत-पूजन की विधि, महत्व, मंत्र और समस्त जानकारी.
महाशिवरात्रि 2024 तिथि
पंचांग के अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष चतुर्दशी तिथि 8 मार्च 2024 को रात 09.57 से शुरू होगी और अगले दिन 09 मार्च 2024 को शाम 06.17 मिनट पर समाप्त होगी. चूंकि शिवरात्रि की पूजा रात में होती है इसलिए इसमें उदयातिथि देखना जरुरी नहीं है.
महाशिवरात्रि पर प्रदोष काल, निशिता काल, और रात्रि के चार प्रहर में शिव पूजा का विधान है. इस दिन सूर्योदय से अगले दिन सूर्योदय तक व्रत रखा जाता है और रात में जागकर शिव पूजा करने वालों पर महादेव की विशेष कृपा बरसती है.
यौगिक परंपरा में शिव को किसी देवता की तरह नहीं पूजा जाता. उन्हें आदि गुरु माना जाता है. महाशिवरात्रि एक अवसर और संभावना है, जब व्यक्ति स्वंय को स्थिर कर पाने में सक्षम होता है. महाशिवरात्रि का व्रत रखने से साधक के सभी दुखों, पीड़ाओं का अंत तो होता ही है साथ ही मनोकामनाएं भी पूर्ण होती है.महाशिवरात्रि के दिन शिवतत्व नित्य की तुलना में हजार गुना अधिक सक्रिय रहता है.
फाल्गुनकृष्णचतुर्दश्यामादिदेवो महानिशि । शिवलिङ्गतयोद्भूतः कोटिसूर्यसमप्रभ
अर्थात – ईशान संहिता में लिखे इस श्लोक अनुसार फाल्गुन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन करोड़ो सूर्यों के समान प्रभा वाले लिंगरूप में प्रकट हुए थे. ज्योतिर्लिंग का प्रादुर्भाव होने से यह पर्व महाशिवरात्रि के रुप में मनाया जाता है.
पूजा विधि
आज के दिन शिवलिंग पर कुछ चीजें अर्पित करने से भोलेनाथ की कृपा मिलती है. आज शिव जी को दही,दूध,शहद,घी,जल,गंगा जल,अक्षत,मोली,चंदन,बिल्वपत्र,सुपारी,पान,फूल,फल,मिठाई, धतूरा,शमी के पत्ते,गन्ने का रस और रुद्राक्ष जैसी चीजें अर्पित करनी चाहिए.
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- प्रथम प्रहर पूजा का समय- 8 मार्च की शाम 06 बजकर 25 मिनट से रात्रि 09 बजकर 28 मिनट तक
- दूसरे प्रहर पूजा का समय- रात्रि 09 बजकर 28 मिनट से 9 मार्च मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट तक
- तीसरे प्रहर पूजा का समय- 9 मार्च मध्य रात्रि 12 बजकर 31 मिनट से प्रातः 03 बजकर 34 मिनट तक
- चतुर्थ प्रहर पूजा का समय- 9 मार्च को प्रातः 03 बजकर 34 मिनट से सुबह 06 बजकर 37 मिनट तक
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