राजस्थान कांग्रेस में जुबानी जंग हुई तेज,पायलट समर्थक मंत्री ने खोला CM गहलोत के खिलाफ मोर्चा

गहलोत ने एक बार फिर बिना नाम लिए पायलट पर हमला बोला है और पेपर लीक मामले में मुआवजे की मांग करने वालों को मानसिक तौर पर दिवालिया करार दिया है। बता दें कि गहलोत पहले भी पायलट पर इस तरह के बयान दे चुके हैं, तो वहीं सिर्फ 4 दिन बाद ही पायलट के अल्टीमेटम की टाइमलाइन पूरी होने वाली है।

(एन एल एन मीडिया – न्यूज़ लाइव नाऊ): राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कद्दावर नेता सचिन पायलट के बीच जुबानी जंग तेज होती जा रही है। गहलोत ने एक बार फिर बिना नाम लिए पायलट पर हमला बोला है और पेपर लीक मामले में मुआवजे की मांग करने वालों को मानसिक तौर पर दिवालिया करार दिया है। बता दें कि गहलोत पहले भी पायलट पर इस तरह के बयान दे चुके हैं, तो वहीं सिर्फ 4 दिन बाद ही पायलट के अल्टीमेटम की टाइमलाइन पूरी होने वाली है। पायलट ने अपनी तीन मांगें रखते हुए 15 मई को सरकार को अल्टीमेटम दिया था। वहीं, आज दिल्ली में राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस की तैयारियों को लेकर होने वाली कांग्रेस की मीटिंग टाल दी गई है। ऐसे में समझा जा सकता है कि राजस्थान कांग्रेस में टकराव किस हद तक आगे बढ़ चुका है।

सीएम अशोक गहलोत ने इशारो-इशारों में सचिन पायलट पर हमला बोलते हुए पेपर लीक पर मुआवजे की मांग करने को मानसिक दिवालियापन करार दे दिया। गहलोत ने कहा, ‘पेपर आउट हो गया इसलिए इनको मुआवजा मिलना चाहिए, इसको क्या बुद्धि का दिवालियापन नहीं कहेंगे? मुआवजा दो, दुनिया के इतिहास में इस तरह की कोई मांग की है क्या? पेपर आउट हो गया तो मुआवजा दो। कहीं पर जो बच्चे परीक्षा नहीं दे पाए, उनको मुआवजा दो। क्या सरकार मुआवजा दे सकती है? ऐसी ऐसी मांगे की जाती है।’

एक तरफ जहां कांग्रेस नए संसद भवन के उद्घाटन के मुद्दे पर तमाम विपक्षी दलों को एकजुट करने में सफल हुई है, वहीं दूसरी तरफ राजस्थान में वह अपने नेताओं को एक मंच पर लाने में नाकाम होती दिख रही है। जहां एक ओर गहलोत अपनी ही पार्टी के नेता की बुद्धि पर सवाल उठा रहे हैं, तो वहीं सचिन पायलट ने भी पार्टी और सीएम को खुला अल्टीमेटम दे रखा है। 15 मई को जयपुर में पदयात्रा के समापन पर गहलोत सरकार के सामने तीन मांगें रखी थी- पेपर लीक पीड़ितों को मुआवजा, आरपीएससी का पुनर्गठन और वसुंधरा सरकार में हुए घोटालों पर एक्शन। सचिन पायलट पिछले कई महीने से इन तीन मुद्दों पर एक्शन की मांग कर रहे हैं, लेकिन अब 30 मई तक का अल्टीमेटम दिया है, और मांगें पूरी न होने पर बड़े आंदोलन की चेतावनी दी है।

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